जाने माने पत्रकार अनिल जैन की कलम से…..
दुनिया के देशों के राजकीय मेहमानों का भारत आने पर सत्तापक्ष के साथ ही मुख्य विपक्षी पाटी के शीर्ष नेताओं से मिलना आम बात रही है। यह परंपरा आजादी के बाद से लेकर कुछ वर्षों पहले तक चली। विदेशी मेहमान मुख्य विपक्षी पार्टी के अलावा कुछ अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं से भी मिलते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह परंपरा लगभग बंद हो गई थी। गिने-चुने विदेशी मेहमान ही सोनिया और राहुल गांधी से मिलते थे। दूसरे देशों के राजदूत तो कांग्रेस नेताओं से बिल्कुल ही नहीं मिलते थे। हां, उनका भाजपा के मुख्यालय आना-जाना जरूर बढ़ गया।
वे भाजपा को जानने के लिए पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलते हैं। कई राजदूतों ने पिछले कुछ दिनों में लखनऊ का भी दौरा किया है, जहां वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। पिछले कुछ दिनों से अचानक राजदूतों का कांग्रेस के प्रति प्रेम बढ़ गया है। यह घटनाक्रम राहुल गांधी की लंदन और अमेरिका यात्रा के बाद का है। पूरब से लेकर पश्चिमी देशों तक के राजदूत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिले हैं। जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन और ऑस्ट्रेलिया के बैरी ओ फैरेल ने एक ही दिन खरगे से मुलाकात की। इसके एक दो दिन बाद डेनमार्क के
राजदूत फ्रेडी स्वाने भी मिले। इन सभी राजदूतों को खरगे ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की किताब भेंट की। ऐसा लग रहा है कि सभ्य और लोकतांत्रिक दुनिया के देश पुरानी परंपरा के मुताबिक सत्तापक्ष के साथ-साथ मुख्य विपक्षी पार्टी के साथ भी संवाद के दरवाजे खोल कर रखना चाहते हैं।