मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक बैंकों के 11 लाख 19,482 करोड़ रुपये राइट ऑफ किये थे उसके बाद 2021-22 में 1,74,966 करोड़ रुपये के कर्ज को राइट ऑफ किया गया और कल जो आंकड़ा सामने आया है उसके अनुसार 2022-23 में बैंकों ने कुल 2.09 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है
यानी मोटे तौर पर देखा तो मोदी सरकार के कार्यकाल में 15 लाख करोड़ रुपया बैंकों की बुक से गायब कर दिया गया
राइट ऑफ क्या होता है
कुछ मित्रों का कहना है कि यह लोन माफ नहीं किया गया है बल्कि इसे राइट ऑफ किया गया है आइये एक बार इन तकनीकी शब्दो की जादूगरी को समझ लेते हैं दरअसल किसी भी कर्ज में जब लगातार तीन महीने तक किश्त नहीं चुकायी जाती है तो वो फंसा कर्ज यानी एनपीए में तब्दील हो जाता है. जब एनपीए की वसूली की कोई उम्मीद नहीं होती है तो वो डूबा कर्ज बन जाता है, वो रकम बट्टे खाते में डाल दी जाती है. तकनीकी भाषा में इसे ‘राइट ऑफ’ कहा जाता है.
आरबीआई के मुताबिक लोन को राइट ऑफ करने के लिए बैंक एक प्रोविजन तैयार करते हैं। इस प्रोविजन में राशि डाली जाती है। इसी का सहारा लेकर लोन को राइट ऑफ किया जाता है। बाद में यदि कर्ज की वसूली हो जाती है तो वसूली की गई राशि को इस कर्ज के विरुद्ध एडजस्ट कर दिया जाता है। ‘राइट ऑफ एक टेक्निकल एंट्री है, इसमें बैंक को कोई नुकसान नहीं होता है, इसका मतलब ये नहीं है कि बैंक ने उन संपत्तियों को छोड़ दिया, राइट ऑफ के बाद भी बैंक कर्ज वसूली की प्रक्रिया जारी रखते हैं।
लेकिन बड़ा सवाल यहाँ ये उठता है कि राइट ऑफ किये गए लोन की वसूली आखिर होती कितनी है ?
मोटे तौर पर देखा जाए 100 रु यदि राईट आफ हुऐ हैं तो मात्र 15 रूपए ही उसमे से रिकवर हो पाए हैं
यानी राईट आफ की 85 प्रतिशत रकम डूब गईं हैं
अब ये रकम कही न कही तो गईं ही होगी किसी न किसी उद्योगपति को ये रकम प्राप्त हुई होगी लेकिन यदि आप पूछेंगे कि ये कौन से उद्योगपति है जो इतनी अधिक रकम डुबा रहे हैं तो कोई जवाब नही दिया जाएगा !
सार्वजनिक बैंक बड़े कर्जदारों के कर्ज को राइट ऑफ करते हैं। यह राइट ऑफ 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज को किया जाता है, लेकिन आपके हमारे जैसे लोग यदि होम लोन की एक दो क़िस्त चूक जाए तो नीलामी की धमकी दी जाती है वही अडानी अम्बानी जैसे उद्योगपतियों के 100-100 करोड़ से अधिक के लोन राइट ऑफ कर दिए जाते हैं……..
एक उदाहरण देते हैं जैसे दो साल पहले स्टेट बैंक आफ इंडिया ने नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए- जो अब अडानी एयरपोर्ट है- 12,270 करोड़ का कर्ज माफ कर दिया,
यानी फायदा किसको हुआ अडानी को
नुकसान में कौन रहा नुकसान में बैंक रहा लेकिन एक मिनट जरा ठहर जाइए
एक ओर महत्वपूर्ण बात जो आपको ओर हमको समझना चाहिए कि राइट ऑफ की गई रकम की भरपाई के लिए बैंक अपने बाकी कमाई के जरियों पर निर्भर रहता है. जैसे कि बाकी लोन्स पर आ रहा ब्याज, सेविंग वगैरह पर दिया जा रहा ब्याज कम करना आदि, इसलिए ही आप देखेंगे कि बैंको द्वारा लगातार सेविंग्स की ब्याज दरों को कम किया जा रहा है…..मोदी सरकार में हो यह रहा है कि बड़े कारोबारियों के साल दर साल कर्ज को बट्टे खाते में डाला जा रहा है ओर उसकी वसूली के लिए बैंको के री केपेटलाइजेशन के नाम पर आम जनता पर टैक्स बढ़ा कर वसूली जा रही
एक और बात समझिए कि विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल आप लोन को राइट ऑफ नहीं कर सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि आप ऐसे लोन को हर तिमाही में या हर साल क्लियर नहीं कर सकते हैं, ये पांच या दस साल में की जाने वाली प्रक्रिया है। इसके अलावा राइट ऑफ की जाने वाली रकम भी छोटी होनी चाहिए।
लेकिन मोदी राज में हर साल लाखों करोड़ की रकम राईट आफ की जारही है जो गलत प्रक्रिया है इसका भुगतान हमे ही करना पड़ रहा है