मोदी इंदौर मे जिस सड़क पर रोड शो कर रहे हैं वहां के मकान टूटे फूटे क्यों है

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इन्दौर मे आज पीएम मोदी का रोड शो बड़ा गणपति से मल्हारगंज होते हुए राजबाड़ा तक आयोजित किया गया है, लेकिन कुछ ही किलोमीटर लंबी इस सड़क को आप अपने टीवी स्क्रीन पर जब ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि इस सड़क पर अधिकांश मकान टूटे फूटे पड़े हुए हुए है जिसे बीजेपी के झंडे बैनर कटआउट से छिपाने की असफल कोशिश की जा रही है
यानी टूटे पड़े मकानों की सड़क पर सम्राट नीरो उर्फ मोदी जी बंसी बजाते हुए रोड शो कर रहे हैं
दरअसल लगभग डेढ़ साल पहले इस सड़क को चौड़ा करने के लिए स्मार्ट सिटी के कारिंदो ने जमकर तोड़फोड़ की और आज तक यह सड़क वैसी ही पड़ी हुई है,
अब आप पूछेंगे कि ऐसा क्यों है, इतने समय में भी मकान मालिक अपने मकान फिर से क्यों नहीं बनवा पाए ?
तो अब सच्चाई सुनिए….आज से लगभग डेढ़ साल पहले इस रोड पर जिन लोगो के घर-दुकान- मकान टूटे वे बिचारे गम खाकर रह गए कि चलिए रोड का चौड़ा होना होना भी जरूरी है, और जब तोड़फोड़ का काम पूरा हुआ तब उन्होने सोचा कि जो हिस्सा गया सो गया अब हम नए सिरे से अपने घर दुकान मकान बना लेते है, लेकिन जैसे ही वो टूटफूट के बाद होने वाले नए निर्माण का नक्शा पास कराने निगम गए उन पर जेसे ही बिजली गिर पड़ी क्योंकि उन्हें पता चला कि नक्शा पास करने का रेट ही 1000 रु स्क्वायर फीट है, तोड़फोड़ का मुआवजा मिलना तो दूर रहा एक हज़ार रुपए स्क्वायर FT का रेट अलग से देना पड़ रहा है, और इसी कारण बहुत से लोगो को अपना मकान इसी कारण बडे़ बिल्डर्स को बेचना पड़ गया
जी हां ये वही सड़क है जिस पर नक्शा पास कराने का शुल्क देश के तमाम स्मॉर्ट सिटी प्रोजेक्ट में सार्वाधिक वसूला जा रहा है इंदौर में नक्शा मंजूर करते समय एक दर्जन से ज्यादा शुल्क वसूले जा रहे हैं। जो अन्य  किसी स्मार्ट सिटी में कहीं भी नहीं लिया जा रहा है। स्थिति यह है कि जयपुर व सूरत में जहां ₹7500 में 1000 वर्ग फीट का निर्माण का नक्शा पास हो जा रहा है, वही इंदौर में इसके लिए लाखों रुपए देने पड़ रहे हैं। यहां तक कि अगर बात करें भोपाल के स्मार्ट सिटी एरिया की तो यहां पर भी सामान्य ₹26 वर्ग फीट के हिसाब से नक्शा शुल्क लिया जा रहा है। जबकि इंदौर में इससे कई गुना ज्यादा हजार रुपे वर्ग फीट वसूला जा रहा है। स्मार्ट सिटी के लिए जिन लोगों ने अपने जमीन मकान दुकान दिए उनके लिए भारी-भरकम शुल्क के कारण बची खुची जमीन पर भी निर्माण मुश्किल हो गया है।दूसरी ओर सरकार ने अभी तक टीडीआर को लेकर कोई पालिसी जारी नहीं की है ,जिसके कारण पूरे इंदौर मे तोड़े गए पांच हजार से अधिक मकानों के मालिक अपने मकानों के टूटने का भी कोई लाभ नहीं ले पा रहे हैं उपर से इन इलाकों मे प्रॉपर्टी के वैल्यू के आधार पर इलाकों में नक्शा शुल्क करीब 1000 वर्ग फीट का 10 लाख रुपए तक पहुंच गया है
 ये है सच्चाई इस टूटे फूटे मकानों की और इस सड़क की….. जिसे कोई मीडिया, कोई पत्रकार नही बता रहा है

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