लग्ज़री कारो की कीमत मिनिमम 50 लाख से शुरू होती हैं कार निर्माता कम्पनी उनमें लाखों रूपए खर्च कर एंटी थेफ्ट सुरक्षा प्रणाली लगाती है लेकिन उसके बाद भी ये कारें आसानी से चोरी हो रही है तो एक ईवीएम हैक होने में कौन सी बड़ी बात है
एक हिंदी यू ट्यूब वीडियो देख रहा था प्रोगाम मे एक इन्डियन हैकर आया हुआ था और जो लेटेस्ट हैकिंग डिवाइस आ रहे है उन पर बातचीत चल रही थी …….उस फकीर जैसे दिखने वाले हैकर ने अपने झोले से एक डिवाइस निकाला और कहा कि इसे देखिए, एक मोबाइल फोन नुमा डिवाइस था जिसमे एक बड़ा सा एंटीना लगा हुआ था……
उसने बोला जानते है ये क्या है ? ये जो मर्सिडीज, ऑडी, पोर्श, बीएमडब्ल्यू की करोड़ों रू की कीमत की गाड़ियां आती है उनकी इलेक्ट्रॉनिक चाबियों को इस डिवाइस की सहायता से हैक किया जाता है.
उस गाड़ी के पास जाकर इस डिवाइस से उसकी फ्रिक्वेंसी मॉनिटर की जाती है ये रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरसेप्ट करता है चोर इसके जरिये बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के ही कार के अंदर दाखिल होने में सफल हो जाते है हैकर्स कार के मालिक के पास खड़े होते हैं उनकी जेब में रखी चाबी की रेंज में आ जाते हैं. इसके बाद एक खास डिवाइस के जरिये इलेक्ट्रॉनिक चाबी की फ्रीक्वेंसी को पकड़कर उसे हैक कर लेते हैं
फकीर जैसा दिखने वाला हैकर आगे बोलता है कि इस डिवाइस मे यदि और भी बड़ा एंटीना लगा दिया जाए तो आकाश में उड़ते हुऐ प्लेन से कनेक्ट किया जा सकता है इंटरसेप्ट किया जा सकता है …..इस डिवाइस के हायर वर्जन भी आते हैं जिसकी सहायता से स्पेस में घूम रहे सेटेलाइट तक को हैक किया जा सकता है
मतलब आप समझ रहे हैं न कि तकनीक कहा से कहा जा चुकी है और आप इस ख्वाब में हो कि ईवीएम तो हैक हों ही नहीं सकती…..
इसलिए ही जर्मनी की कोर्ट ने अपने यहां ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए कहा था कि ‘वोटर और रिजल्ट के बीच टेक्नोलॉजी पर निर्भर करना असंवैधानिक है’………
अभी evm पर यह श्रृंखला जारी है true journalist पर बने रहिए
जब चोर पकड़ा जाने के बाद भी चोर और पुलिस दोनों मानते हैं कि चोरी नहीं है इसका मतलब बंदरबांट हो चुकी है