मोदी सरकार को झक मारकर आखिरकार वन्दे भारत ट्रेन के किराया कम करने पर विचार करना पड़ रहा है, ख़बर आ रही है कि रेलवे कम दूरी वाली कुछ वंदे भारत ट्रेनों में सीटें खाली रहने की स्थिति को देखते हुए किराए की समीक्षा कर रहा है.
यहीं इस सरकार की सबसे बड़ी गलती साफ़ नज़र आती है, पहले गलत करते है फिर बाद मे उसे सही करने की कोशिश में अपनी हँसी उड़वाते है
दरअसल पहली वंदे भारत ट्रेन 15 फरवरी, 2019 में वाराणसी से नई दिल्ली के बीच चली थी इस साल 15 अगस्त तक देश में कुल 75 वंदे भारत ट्रेन चलाना लक्ष्य रखा गया है. लेकिन आज जब ये ख़बर आप पढ़ रहे हैं तब तक मात्र 23 वंदे भारत एक्सप्रेस ही पटरी पर दौड़ पाई है
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जितनी भी वन्दे भारत ट्रेन पिछले 4 सालो में चली है उसमे उसी रूट पर चल रही ट्रेनों से किराया कम से कम तीन गुना वसूला जा रहा है
आप ख़ुद ही विचार कीजिए कि एक आम यात्री तीन गुना किराया भला क्यो देगा ? सबसे बडा सवाल यह है कि वन्दे भारत ट्रेन में जो लग्जरी सुविधाएं दी जा रही है क्या वो इतना मूल्य रखती है
लोग अकसर पूछते हैं कि वंदे भारत ट्रेन मे जो खाना यात्रियो को दिया जाता हैं क्या वो टिकट में शामिल है उसका जवाब है नही !
खाने की कीमत अलग है
यानी सुविधा की दृष्टि से भी वन्दे भारत कोई खास नही है
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जो पूछी जाती है वो ये है कि क्या वंदे भारत दूसरी ट्रेन की अपेक्षा आधे समय में गंतव्य स्थान तक पुहंचा रही है ?
इसका जवाब है बिलकुल नहीं
भारत में जितनी भी वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चल रही है वे ट्रेन 6 से 8 घण्टे के सफर में दूसरी ट्रेन की तुलना में मुश्किल से डेढ़ घंटा पहले पूहंचा रही है और 3 से 5 घण्टे के सफर में 45 मिनट से एक घंटा जल्दी पहुंचा रही है
उदाहरण के तौर पर आप पटना से रांची के लिए वन्दे भारत ट्रेन का उदाहरण लें सकते है
इस ट्रेन के AC Chair Car का किराया 1025 रु जबकि Executive Chair Car का किराया 1930 रु है।पटना रांची की वंदे भारत यात्रा पूरी होने में 6 घंटे का समय लेती है
अब इसी रूट पर जो जनशताब्दी चलती है उसमे Chair Car का किराया 195 है जबकि
AC Chair Car का किराया 650 है।जनशताब्दी की इस यात्रा में 7.30 घंटे का समय लगता है।
यानी सीधे चार गुना किराया और समय की बचत मात्र डेढ़ घंटा
अब ऐसे ही इन्दौर भोपाल के बीच चलने वाली वन्दे भारत ट्रेन है जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने लगभाग एक हफ्ते पहले किया है कई सालों से इन्दौर भोपाल के बीच इंटरसिटी चल रही है जो रोज सुबह 6:35 पर निकलती है और मोटे तौर पर साढ़े दस बजे भोपाल पूहंच जाती हैं उसका न्यूनतम किराया भी मात्र 100 रुपए है
इसी रूट पर और इसी टाइम पर नई वंदे भारत दौड़ा दी गई जिसका मिनिमम किराया ही 910 रुपए रखा गया
सोचने लायक बात है कि कोई 9 गुना किराया देकर नई वन्दे भारत ट्रेन में भला क्यो जायेगा, मुश्किल से उसके 45 से 50 मिनट बचेंगे ….और ये इंटरसिटी भी लगभग खाली चलती है क्योकि ट्रेन सुबह जल्दी निकलती है , ज्यादा लोग बस से सफर करना पसंद करते है इन्दौर भोपाल वाल्वो बस जो लगभग हर आधे उपलब्ध है उसका किराया भी 400 रुपए के आसपास है वो भी तीन घण्टे में भोपाल लगा देती हैं….आदमी 900 रु देकर नई वन्दे भारत ट्रेन से जायेगा ही क्यों?…. स्टेशन जानें और वहा से निकलने में ही उसका आधा घंटा खराब हो जायेगा !
अब जो ताजा ख़बर आई है उसके अनुसार जून तक के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भोपाल-इंदौर वंदे भारत ट्रेन में केवल 29 प्रतिशत सीटें भरी हुई थीं जबकि इंदौर-भोपाल ट्रेन में मात्र 21 प्रतिशत सीट ही आरक्षित थीं.
यानी ट्रेन खाली ही दौड़ रही है और इसमें लगने वाला खर्च आपसे हमसे ही वसूला जा रहा है
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस सरकार ने गरीब रथ जैसी ट्रेन को बंद कर दिया जिसका किराया भी अन्य ट्रेनों के थर्ड एसी के किराए से लगभग 30 फ़ीसदी कम था। और उसके बदले में तीन गुना किराया लेने वाली वंदे भारत चला दी