अगर मैं आपको कहूँ कि मै आपको ढाई हजार रु कीमत के कॉइन मुफ्त में दूंगा लेकिन इसके बदले आपको एक छोटा सा काम करना होगा आपको इस छोटे से शीशे के गोले में 10 से 15 सेकण्ड देखना होगा …बस !
क्या आप राजी नहीं होंगे ?
नहीं मै आपको बेवकुफ नहीं बना रहा !……. ऐसा सच में हो रहा है और उस गोले में झाकने के लिए और मुफ्त के कॉइन हासिल करने के लिए केन्या में हजारो लोगो की भीड़ मॉल के बाहर खड़ी हुई है, जैसे हमारे यहां त्योहारों पर हजारों लाखों लोग मन्दिर के बाहर देव दर्शन के लिए लाइन लगा कर खड़े हो जाते हैं वैसे ही मुफ्त में मिलने वाले कॉइन के लिए बेरोजगार युवाओं की दो दिनों से लाइनों में लगी अपनी बारी आने का इंतजार कर रही हैं
भारत के बेंगलुरु के एक मॉल में भी ये स्कीम चल रही है लेकिन अभी अधिक लोगो को इसके बारे में पता नहीं है
हम बात कर रहे है वर्ल्ड कॉइन की
आपने अबतक चैटजीपीटी का नाम तो जरूर सुन ही लिया होगा इसी ChatGPT को डेवलप करने वाले संस्थान ओपनआई, ने भारत,यूके और जापान और कई अफ़्रीकी देशों में में एक नयी और बेहद दिलचस्प स्कीम की शुरुआत की है जिसे वर्ल्ड कॉइन के नाम से जाना जाता है
हालाँकि इसका नाम किसी क्रिप्टो करंसी जैसा लगता है लेकिन ये क्रिप्टो नहीं है लेकिन इसके लटके झटके क्रिप्टो की तरह से है
वर्ल्डकॉइन को 24 जुलाई, 2023 को लॉन्च कर दिया गया है वर्ल्डकॉइन सैन फ्रांसिस्को और बर्लिन स्थित टूल्स फॉर ह्यूमैनिटी द्वारा विकसित एक आईरिस बायोमेट्रिक क्रिप्टोकरेंसी प्रोजेक्ट है फिलहाल 20 देशों में 35 शहरों में यह प्रोजेक्ट लांच किया गया है। दुनिया भर में इसकी साइन-अप साइटों पर, लोग अपने चेहरे को चमकदार गोलाकार “ओर्ब” से स्कैन करवा रहे हैं,
आपके आईरिस की पहचान को इस orb के जरिए संख्याओं की एक क्रिप्टोग्राफ़िक स्ट्रिंग में बदल दिया जाता है
ब्रिटेन, भारत और जापान में साइन-अप साइटों पर जब ऐसे लोगो का रॉयटर्स ने इंटरव्यू लिया तो अधिकांश लोगों ने कहा कि वे फ्री के 25 वर्ल्डकॉइन टोकन प्राप्त करने के लिए शामिल हुए है
वर्ल्डकॉइन को बनाने के पीछे क्या उद्देश्य है
ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा, “इसका मिशन का लक्ष्य एक नया पहचान और वित्तीय नेटवर्क बनाना है।
कंपनी द्वारा लोगों के आंखों की पुतलियों को स्कैन किया जा रहा है (आइरिस पहचान) और इसके बदले लोगों को डिजिटल आईडी और मुफ्त क्रिप्टोकरेंसी दिए जा रहो हैं। “पहचान और वित्तीय नेटवर्क” बनाने की योजना के हिस्से के रूप में मुफ्त क्रिप्टोकरेंसी दी जाती है। जिन लोगों ने आइरिस पहचान सफलतापूर्वक करवाई है, उन्हें 25 फ्री वर्ल्ड कॉइन दिया जाएगा।
दरअसल डिजिटल आईडी के जरिए यूजर यह साबित कर सकते हैं कि वे इंसान हैं, बॉट नही।
2021 में, कंपनी ने कहा था कि उसके टोकन का उद्देश्य इंटरनेट इकनॉमी द्वारा संचालित अधिक सेंट्रलाइज्ड और न्यायसंगत वर्ल्ड इकनोमी को चलाने का एक बड़ा प्रयास है,
वर्ल्डकॉइन का यह भी कहना है कि यह बड़ी कंपनियों और सरकारों को अपनी आईडी प्रणाली का उपयोग करने की अनुमति देगा
कंपनियां डिजिटल पहचान प्रणाली का उपयोग करने के लिए वर्ल्डकॉइन को भुगतान करेगी, उदाहरण के लिए यदि कोई कॉफी शॉप हर किसी को एक मुफ्त कॉफी देना चाहती है, तो वर्ल्डकॉइन की तकनीक का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि लोग एक से अधिक कॉफी का दावा न करें…..
सरकार इसे अपने नागरिकों को यूनिवर्सल बेसिक इनकम देने के लिए प्रयोग में ला सकती है
इसके पीछे सोच यह है कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले दिनो मे करोड़ो लोगो को बेरोजगार कर देगा और उन्हें किसी न किसी तरह से नियमित रुप से कुछ न कुछ सरकार से सहायता देनी होगी और वास्तविक यूजर की पहचान इसी तकनीक से ही हों सकती है
ये सब नयी विश्व व्यवस्था new world order की तैयारी है, जिसके लिए हर आदमी का, उसके व्यवसाय से संबंधित उसके स्वास्थ्य से संबंधित ऑथोराइज़्ड डेटा चाहिए उसके लिऐ एक वैश्विक पहचान चाहिए और वो आपकी आंखों की पुतलियों से वेरिफाई की जाएगी
हम जानते हैं कि 5G के कारण दुनिया तेजी से बदलने वाली है अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स का जमाना आने वाला है इसमे आर्टिफिशियल इंटलीजेंस अपने चरम पर होगा ……मशीने ही आपस मे बात कर निर्णय ले सकने की क्षमता से लैस होगी किस आदमी को कहा भेजना है वो क्या काम करने में सक्षम है यह सब कुछ गिनी चुनी कम्पनिया ही डिसाइड करेगी ,यह नए नए आईडी उसी के लिए बनाए जा रहे है ऐसी दुनिया मे आपके हमारे जैसे लोगो को कैसे नियंत्रण में रखा जाएगा इस पर सालो से काम चल रहा है……
वर्ल्डकॉइन को क्रिप्टो की तरह से प्रचारित किया जा रहा है लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी नही है बल्कि एक एक वॉलेट की तरह है, वर्ल्डकॉइन डिजिटल मनी का एक नया रूप है जिसे अभी लॉन्च किया गया है।
वर्ल्डकॉइन के पीछे खेल गहरा है
दरअसल पिछले दशक में ही एक वैश्विक एजेंडा लांच किया जा चुका है जिसे ID2020 के नाम से जाना जाता रहा है कुछ सालों पहले तक लोग कहते थे कि यह कांस्पिरेसी थ्योरी है लेकिन आज हम इसे सच होता देख रहे हैं ID 2020 में ही पहली बार वैक्सीनेशन के जरिये वेक्सीन कैंडिडेट की डिजिटल ID बनाने का विचार दिया गया और इस संगठन के पीछे गेट्स फाउंडेशन, रॉकफ़ेलर फाउंडेशन ओर GAVI जैसी संस्थाओं का हाथ है
चैट gpt और ओपन आई के वर्ल्ड कॉइन के पीछे भी इन्हीं लोगो का हाथ है
Excellent
बेहतरीन जानकरी