हम जानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव वीवीपैट का 100% उपयोग होने वाला पहला चुनाव था। …. प्रत्येक ईवीएम मशीन के साथ एक वीवीपैट जुड़ा हुआ था। वोट डालने के बाद, मतदाता सात सेकंड की अवधि के लिए वीवीपैट में प्रिन्ट पेपर स्लिप देख सकता था जिसमें चयनित उम्मीदवार का नाम और सिंबल प्रदर्शित होता फिर पर्ची वीवीपैट के एक सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती…..
लेकिन ऐसी पर्चियों का फ़ायदा ही क्या !… जब उनमें से कुछ वीवीपैट पर्ची की गिनती मतगणना के साथ न हो ?
2019 में जब आम चुनाव हुए थे तो विपक्षी दलों के नेताओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किए जाने की मांग की थी। ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता बनी रहे।
विपक्षी दलों की इस मांग को नही माना गया चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा, ‘अगर हर संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाएगा तो इससे गिनती करने का वक्त बढ़ेगा। इसमें करीब 5 दिन तक ज्यादा लग सकते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों की घोषणा 5 दिन बाद आएंगे
इसमें कोई समस्या नहीं थी !……….आने देते 5 दिन बाद !……..लेकिन नही, कुछ भी नहीं हुआ
अप्रैल 2019 मे सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना ही किया कि चुनाव आयोग वीवीपैट पर्चियों को एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) प्रति विधानसभा क्षेत्र से बढ़ाकर पांच करने का आदेश दिया इससे पहले चुनाव आयोग प्रत्येक क्षेत्र से कोई भी एक ईवीएम चुनकर उसकी पर्चियों का मिलान करता था अब एक की जगह पांच रैंडम ईवीएम मशीन के वोटो का मिलान वीवीपैट पर्चियों से करने का निर्णय लिया गया …
लेकिन यहां एक बहुत बडी गलती की जा रही थी…..
हम जानते हैं कि जब एक बार चुनाव परिणाम घोषित हो जाते है तो न किसी पार्टी के चुनाव एजेंट रहते है और न इस प्रक्रिया की देखरेख का सही सिस्टम काम करता है इसलिए यह जरूरी हैं कि वीवीपैट पर्चियों की गिनती मतगणना के दौरान ही की जाए
2019 के लोकसभा चुनाव में इन पर्चियों की गिनती मतगणना के बाद किए जाने का निर्णय लिया गया
इस निर्णय से ईवीएम से जुड़ी पूरी कवायद ही बेमानी हो गई वीवीपीएटी का पूरा सिस्टम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को ध्यान मे रखकर लाया गया था
तब एक जनहित याचिका में मांग की गई कि मतगणना की शुरुआत में ही वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन हो, न कि मतगणना के बाद, पर्चियों का सत्यापन पहले या दूसरे दौर की मतगणना में किया जाना चाहिए न कि आखिरी में, क्योंकि चुनाव एजेंट अंत तक नहीं रहते हैं।
इस मांग को 2019 में ठुकरा दिया गया और आम चुनाव सम्पन्न हुऐ,
अब असली बात समझिए जिसके लिऐ ये लेख लिखा गया है
2019 के आम चुनाव में जिस भी सीट पर वीवीपैट पर्ची गिनने पर प्रश्न उठाया गया……. चुनाव आयोग ने तुरंत ही इस पर बयान दिया कि वीवीपीएटी और ईवीएम के मतों की गणना में कोई विसंगति नहीं है सब सही है
उस दौरान तो बात आई गई हो गई…… चुनाव आयोग से डाटा मांगा गया कि यदि सब मिलान हों गया है तो पर्ची गिनती और मिलान का डाटा पब्लिक के लिए ओपन कर दीजिए
लेकिन नही दिया गया……… मजबूर होकर 26 जून, 2019 को लोकसभा में को “ईवीएम और वीवीपीएटी में विसंगति” के संबंध में एक अतारांकित प्रश्न पूछा गया ……. सरकार से पूछा गया था कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट की गिनती में कोई विसंगति पाई गई थी और यदि हां, तो क्या सुधारात्मक उपाय किए गए थे।
जवाब में सरकार ने 2019 में आश्वासन दिया कि जानकारी एकत्र की जा रही है और सदन के पटल पर रखी जाएगी.
अब मजे की बात सुनिए …..इस प्रश्न को उठाए गए चार साल हो गए हैं लेकिन अब तक कोई जवाब चुनाव आयोग और सरकार की तरफ से नही दिया गया है
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2023 के मध्य में को लोकसभा में पेश की गई कानून और न्याय मंत्रालय से संबंधित लंबित आश्वासनों पर अपनी रिपोर्ट में संसदीय पैनल ने नोट किया कि वे उत्तर अभी तक प्रदान नहीं किया गया
समिति ने बार बार चुनाव आयोग को रिमाइंडर भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। …. समिति का मानना है कि ईवीएम और वीवीपैट के बीच विसंगतियों की पहचान करने की तत्काल आवश्यकता है
समिति ने कानून मंत्रालय से मामले को प्राथमिकता देने और बिना किसी देरी के चुनाव आयोग से अपेक्षित जानकारी प्राप्त करने को कहा।
चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने देरी पर टिप्पणी के अनुरोध का जवाब अभी तक नहीं दिया है
यह 15 दिन पुरानी बात है…..अब एक कमाल की बात अप्रैल 2023 में सामने आई जब भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने 6.5 लाख से अधिक वीवीपैट मशीनों को ‘ख़राब’ बताया
जी हां 6.5 लाख से अधिक वीवीपैट मशीन खराब हों गई जो 2018 में ही खरीदी गई थी
इतनी जल्दी तो घर की वाशिंग मशीन खराब नही होती जो रोज इस्तेमाल होता है लेकिन वीवीपैट मशीन खराब हो गई
आयोग ने बताया कि ये एम 3 पीढ़ी की मशीनें थी और 2019 के लोकसभा चुनावों में, कुल 17.4 लाख वीवीपीएटी को लोकसभा चुनावों के लिए उपयोग के लिए अधिसूचित किया गया था और उस वक्त विधानसभा चुनाव भी हुए थे
17.4 लाख वीवीपीएटी में से 6.5 लाख से अधिक वीवीपैट मशीन खराब पाई गई यानी एक तिहाई (37%) से अधिक मशीनें चुनाव आयोग द्वारा दोषपूर्ण पाई गई और ऐसा खुद चुनाव आयोग ही बता रहा है
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर और चुनाव नागरिक आयोग के सदस्य सुभाशीष बनर्जी ने इस मुद्दे पर कहा कि, “क्या इन मशीनों के लिए कोई ऑडिट किया गया था? क्या उनका मिलान ईवीएम से किया गया और यदि हां, तो नतीजा क्या रहा? दोष की 30% दर बहुत अधिक है।”
यह माना जाता है कि कुछ मशीनें खराब होती है क्योंकि ये एक इलेक्ट्रो मैकेनिकल उपकरण हैं, जिनके क्षतिग्रस्त होने की अधिक संभावना है
एक चुनाव में ओसतन 4000 ईवीएम ख़राब पाए जाने की सम्भावना होती है। इस आंकड़े से अधिकतम 10 गुना संख्या भी 40 हजार है। लेकिन अगर आप जो कह रहे हैं वह सही है कि 6.5 लाख से अधिक दोषपूर्ण हैं, तो यह बहुत गंभीर है,
ऐसी परिस्थिति मे 2019 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में मतदाताओं के वोट प्रभावित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता
इतनी सारी मशीन कोई एक दिन में तो खराब हुई नहीं होंगी……स्पष्ट है कि चुनाव आयोग जो जानकारी सदन के सामने नहीं रख रहा था उसमे विसंगति होने की गुंजाइश 100 प्रतिशत थी और पोल खुल जाने के डर से ये रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश नही की गई………
ये इस कड़ी का पहला लेख है अभी और भी लेख evm और चुनाव प्रक्रिया पर आने वाले है
बने रहिए true journalist पर
यह तो बहुत गंभीर मामला है। और जानकारी की उत्सुकता बढ़ गई है।
सब कुछ मैनेज है
जो भी हो हम सबों की जिम्मेदारी है लोतंत्र बचाने की।
इस मुहिम को आगे बढ़ाना ही होगा…. नहीं तो आवाम पिसती रहेगी।
YES
Silence of the oldest party is noticeable… And has many answers
ये ई वी एम का खेल खत्म होना ही चाहिये