आप पूछेंगे कि ये मीरा पैबी कौन है ?
दरअसल मीरा पैबी को ‘मणिपुर की टॉर्च बियरर’ भी कहा जाता है. यानी वो महिलाएं जो मशाल लेकर चलने के लिए जानी जाती हैं. यह मणिपुर में रह रही बहुसंख्यक आबादी मैताई महिलाओ का एक समूह है जो कई दशकों से सक्रिय रहा है
मणिपुर का समाज एक मातृ सत्तात्मक समाज है मणिपुर की राजधानी इम्फाल शहर के हर लीकाई यानी कॉलोनी में मीरा पैबिस का एक समूह है. हर समूह में सबसे उम्रदराज महिला लीडर बनती है. इस तरह से मीरा पैबिस पूरे मैतेई समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, केवल विवाहित महिलाओं को ही पद दिया जाता है
2020 में एशियन रिव्यू ऑफ सोशल साइंसेज में पब्लिश रिसर्च पेपर में भी मीरा पैबीस का जिक्र किया गया है. अपने रिसर्च पेपर में अरुणा चानू ओइनम और पूर्णिमा थोइडिंगजाम ने लिखा कि मणिपुर में हर महिला एक कठिन परिस्थिति के दौरान मीरा पैबीस बन जाती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट ब्रिटिश भारत में दो प्रमुख आंदोलनों का जिक्र किया गया जिसमें मीरा पैबिस की भूमिका अहम रही. पहली बार इन्होंने तब अपनी भूमिका निभाई जब 1904 में कर्नल मैक्सवेल ने पुरुषों को हर 30 दिनों में 10 दिनों का मुफ्त श्रम करना अनिवार्य किया. मैक्सवेल को बाद में यह आदेश वापस लेना पड़ा.
दूसरा मामला 1939 में सामने आया, जब महाराजा की आर्थिक नीतियों, मूल्य वृद्धि और राज्य में चावल की कमी होने पर मणिपुर से चावल के निर्यात के विरोध में मीरा पैबिस सड़कों पर उतरीं. उस दौर में अंग्रेजों की तरह महाराजा के तेवर भी नरम पड़ गए.
मीरा पैबिस समूह 16 सालों तक AFSPA के खिलाफ अनशन करने वाली इरोम शर्मिला के सपोर्ट के तौर पर भी उनके साथ रहा. 2004 में, एक संदिग्ध विद्रोही थांगजम मनोरमा देवी के कथित बलात्कार और हत्या के बाद, लगभग 30 मीरा पैबी महिलाओं ने इम्फाल शहर में एक बैनर के साथ नग्न होकर मार्च किया, जिस पर लिखा था- indian army rape us
ये तस्वीर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी चर्चित हुई थीं
3 मई से मणिपुर झुलस रहा है
हाल में गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर दौरा किया था तब उन्होंने पीरा पैबी समूह की महिलाओं के साथ मीटिंग की और उन्होंने उन्हें मणिपुर की सुरक्षा में अहम योगदान देने वाला बताया था उन्होंने ट्वीट में लिखा कि हम राज्य में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
अब अचानक से बताया जा रहा है कि खुद को मीरा पैबिस बताने वाली पांच महिलाओं को इंफाल के बाहरी हिस्से में नगा मारिंग की एक महिला की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि ये तथाकथित महिला सुरक्षा समूह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह केवाईकेएल के 12 कैडर की जून में हुई रिहाई के अभियान में भी सक्रिय रहीं। इन 12 कैडर में 2015 में 18 सैनिकों की हत्या करने का मुख्य आरोपी भी शामिल था
पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘‘खुद को मीरा पैबिस बताने वाली इन महिलाओं को आप अकसर देखेंगे यह ये दबाव डालने पर स्वयं को निर्वस्त्र करने की धमकी देती हैं। जब सेना की टुकड़ियां पर्वतीय क्षेत्रों में दूसरे गंतव्य की ओर बढ़ती हैं, ये महिलाएं डंडे लेकर रास्ता रोकने के लिए खड़ी हो जाती हैं।’’
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ है जब किसी हमले को रोकने या मणिपुर में दो समुदायों के बीच सशस्त्र संघर्ष में हस्तक्षेप के लिए जा रही सेना या असम राइफल्स की सहायता टुकड़ी को इन तथाकथित सुरक्षा ठेकेदारों ने रोक दिया और ये सभी से… फिर चाहे वे जवान हों या अधिकारी, पहचान पत्र दिखाने को कहती हैं।
लगभग 20 या इससे अधिक महिलाओं के समूह लाठी-डंडे लेकर इंफाल रोड के प्रमुख स्थानों पर खड़े होकर सबकी जांच करते हुए देख सकते हैं, ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में फंसे जनजातीय लोगों तक कोई मदद न पहुंच सके।
यानी कि माहौल पूरी तरह से बदल चुका है अब मीरा पैंबी की बुराइयां बताई जा रही है एकदम से हुआ ये बदलाव आश्चर्य जनक है