दो दिन पहले एक फेसबुक पोस्ट पर कमेंट आया कि आप उडीपी की घटना पर कुछ क्यों नहीं बोलते ? मै आश्र्चर्यचकित था कि ऐसा वहा क्या हो गया जब गूगल सर्च किया तो सबसे ऊपर ये दो लिंक नजर आए लेकिन उसके नीचे नवभारत टाइम्स की एक खबर भी थी जिसमे कहा गया था कि कर्नाटक के उडुपी में गर्ल्स कॉलेज के टॉइलट में हिंदू लड़कियों के वीडियो रिकॉर्डिंग मामले में पुलिस ने चेतावनी जारी की है।
उडुपी के एसपी हाके अक्षय मच्छिन्द्र ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए लोगों से इस संबंध में फर्जी खबरों पर विश्वास न करने का अनुरोध किया।उडुपी एसपी ने अपील करते हुए कहा कि लोगों के बीच भ्रम पैदा करने के लिए अफवाहें नहीं फैलाई जानी चाहिए। यदि कोई दस्तावेज या सबूत उपलब्ध है, तो उसे पुलिस को सौंप दें और पुलिस विभाग को सहयोग करें। उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में मामला दर्ज करने के लिए कोई सुराग उपलब्ध नहीं है। कथित लड़कियों के मोबाइल में कोई फोटो या वीडियो उपलब्ध नहीं है। कॉलेज के नियमों के अनुसार उनसे पूछताछ की गई है।
एसपी मच्छिन्द्र ने कहा कि यह मामला सोशल मीडिया और समाचारों में प्रसारित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘यह गलत उद्देश्यों से फैलाया जा रहा है। जांच के दौरान घटना में छिपे हुए कैमरे के इस्तेमाल की बात हमारी जानकारी में नहीं आई है। हम ब्लैकमेलिंग के लिए प्रसारित किए जा रहे वीडियो पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सच्चाई जाने बिना केवल संदेशों को फॉरवर्ड करना गलत है।
यानि की झूठ फैलाया गया लेकिन इनकी ये रोज की प्रैक्टिस है कुछ दिन बंगाल भाजपा की सांसद लॉकेट चटर्जी ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई और रोते हुए कहा कि पंचायत चुनाव में 8 जुलाई (चुनाव के दिन) को ग्रामसभा की एक महिला कैंडिडेट को बूथ के अंदर जाकर उसको निर्वस्त्र करके उसको प्राइवेट पार्ट में टच करके ये सब बदतमीती की गई. 11 जून को मतगणना के दिन तृणमूल की एक महिला कैंडिडेट को काउंटिंग रूम में उसके साथ अत्याचार किया गया.”
उन्होंने कहा, ”आप देख रहे हैं कि वहां का कुछ वीडियो नहीं है. वीडियो वायरल नहीं हुआ. कोई वहां जाकर ऐसे वीडियो नहीं कर पाया. वहां पर तो सब गन लेकर काउंटिंग रूम में चले गए. गन-बम लेकर गए, महिला को सामने खड़ा करके, उसके सिर पर बंदूक रखकर उसको निर्वस्त्र किया. उस पर अत्याचार किया, तो उस पर कोई जांच नहीं होगी? उसके लिए हम लोग कुछ नहीं बोलेंगे?”
लेकिन यहां दिक्कत ये हों गई कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद डीजीपी मनोज मालवीय का बयान सामने आ गया जिसमे डीजीपी ने बताया कि उनकी जांच में अब तक ऐसा कुछ ऐसा सामने नहीं आया।
बंगाल डीजीपी ने कहा, ‘हावड़ा ग्रामीण को लेकर टीवी और सोशल मीडिया से खबर फैल रही है कि वहां पर 8 जुलाई को एक महिला के साथ घटना हुई। हमारे पास जो तथ्य हैं उसके अनुसार, 13 जुलाई को ईमेल के माध्यम से एसपी हावड़ा ग्रामीण के पास बीजेपी ने शिकायत भेजी थी। शिकायत में कहा गया, 8 जुलाई को वोटिंग वाले दिन सुबह 11 बजे पांचला थाना स्थित एक बूथ के अंदर महिला को खींचकर बाहर निकाल दिया गया। उनके साथ अश्लील व्यवहार हुआ। कपड़े फाड़े गए और उनको चोट भी आई।’
डीजीपी ने आगे बताया, ‘शिकायत संबंधित थाने में फॉरवर्ड की गई। शुरुआती जांच हुई। एफआईआर भी दर्ज की गई। जांच में अभी तक कोई तथ्य सामने नहीं आया कि यह प्रमाणित हो कि इस प्रकार की कोई घटना घटी। सभी बूथ पर केंद्रीय वाहिनी तैनात थी, उसने भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी। बीजेपी की फैक्ट फाउंडिंग टीम भी चुनाव के बाद वहां पहुंची थी लेकिन उन्होंने भी ऐसा कुछ नहीं बताया।’
डीजीपी मनोज मालवीय ने कहा, ‘जिनके साथ घटना घटी, उनको हमने नोटिस देकर संपर्क किया अगर आपको कोई चोट लगी है तो आपने जहां इलाज करवाया, उसकी रिपोर्ट वगैरह दिखाए। हमने उनसे यह भी कहा कि अगर कोई घटना घटी है तो कोर्ट में चलकर सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाएं लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।’
अब आप सोच रहे होंगे कि लगातार ऐसा क्यों किया जाता है
2018 में अमित शाह ने राजस्थान के कोटा में पार्टी कार्यकर्ताओं, शक्ति केंद्र कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया वॉलिंटियर्स को संबोधित करते हुए कहा था कि , “हम जो चाहें वो संदेश जनता तक पहुंचा सकते हैं, चाहे खट्टा हो या मीठा हो, चाहे सच्चा हो या झूठा हो।”
बीजेपी अध्यक्ष ने उस भाषण में एक उदाहरण भी लोगों को दिया कि यूपी चुनाव के वक्त एक कार्यकर्ता ने व्हाट्सअप पर एक संदेश पोस्ट कर दिया कि अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को चांटा मारा। उन्होंने कहा, “यह बात सच नहीं थी लेकिन वो संदेश नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे तक वायरल हो गया। मुझे लोगों के फोन आने लगे और कहने लगे कि उनकी पार्टी से लेकर जनता तक ये बात फैली है कि जो अपने बाप का ना हुआ वो हमारा क्या होगा?”
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करना है, यह गलत है लेकिन यह आधा सच हैउन्होंने जिस अंदाज में यह बात कही थी वह विडिओ देखने लायक है उनका बात का मतलब यह साफ दिख रहा था कि यदि झूठ भी वायरल करना पड़े तो बिलकुल कर देना चाहिए
बस इसी मोडस ऑपरेंडी पर काम किया जाता है और लगातार झूठ फैलाया जाता है एक झूठ को झूठ साबित करो तब तक 10 नए झूठ गढ़ दिए जाते है