फर्जी वीडियो वायरल कर के हिंसा फैलाने का एक पार्टी का लंबा इतिहास रहा है कल पता चला कि मणिपुर में जो महिलाओ के साथ बदसलूकी हुई जिसके कारण पूरी दुनिया के आगे हमे शर्मिंदगी झेलना पड़ रही है उसके पीछे भी एक फेक न्यूज़ थी एक फेक वीडियो था जो स्थानीय स्तर पर सर्कुलेट किया गया और उस वीडियो को देखकर भीड़ भड़क गई और उसका बदला लेने के लिए उत्तेजित भीड़ ने महिलाओं के साथ दरिंदगी की.
दिल्ली में हुए एक रेप की ख़बर मणिपुर स्थानीय लोगो के सोशल मीडिया ग्रुप में गलत तरीके से ‘मणिपुर में रेप की वारदात’ बता कर फैलाया गया………3 मई की शाम मणिपुर में सोशल मीडिया पर प्लास्टिक शीट में लिपटी एक महिला की फोटो वायरल की गई जिसमें दावा किया गया था कि यह मणिपुर की महिला है और उसके साथ रेप किया गया है.
हालांकि बाद में जांच के दौरान पता चला कि ये फोटो मणिपुर का नहीं बल्कि दिल्ली का है. लेकिन भीड़ तब तक भड़क कर वो काम कर चुकी थीं जिसकी वजह से एक राष्ट्र के तौर पर हम शर्मिंदा हो रहे हैं
सोशल मीडिया के दौर में इस तरह के हिंसक वीडियो वायरल करना बहुत ही आसान है और ये खेल पूरी दुनियां में चल रहा है
कुछ साल पहले क्रिस्टोफर वायली जो डेटा साइंटिस्ट थे उन्होंने केम्ब्रिज एनलिटिका जैसी कम्पनियो की मोडस ऑपरेंडी को लेकर भी एक खुलासा किया था जिसमे उन्होंने बताया था कि “नाईजीरिया में चुनाव के समय कनाडा की कंपनी एग्रेगेट आईक्यू ने लोगों भयभीत करने के लिए हिंसक वीडियो वायरल किए थे,
भारत में उस पार्टी ने इसका फायदा उठाया है जो सोशल मीडिया पर सबसे मजबूत है
2013 का मुजफ्फरपुर दंगा याद होगा आपको?
संगीत सोम जो एक भाजपा विधायक थे वे मुजफ्फरनगर जिले में भीड़ को उकसाने वाला एक फर्जी वीडियो क्लिप अपलोड करने वाले नेताओं में से एक थे पुलिस ने उस वीडियो को झूठा करार दिया उसमें भीड़ द्वारा दो लड़कों को पीट-पीट कर मार डाले जाने का दृश्य दिखाया गया है। बाद में यह खुलासा हुआ कि वीडियो स्पष्ट रूप से अफगानिस्तान या पाकिस्तान में शूट किया गया था, लेकिन वहा एक बड़े वर्ग का मानना था कि वीडियो की घटनाएं वास्तव में मुजफ्फरनगर के एक गांव में हुई थीं, जिसके कारण बाद में घातक दंगे हुए जिसमें 48 लोग मारे गए
2020 में हुए उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगे में भी ऐसी ही कहानी दोहराई गयी , 25 फरवरी 2020 को, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पहले दंगे के एक दिन बाद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा। प्रसारित करने वालों में से एक अविरल शर्मा द्वारा अपने ट्विटर हैंडल @sharmaAvi के माध्यम से किया गया था। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम समुदाय के लोग पूर्वोत्तर दिल्ली के मौजपुर इलाके में एक बस चालक पर हमला कर रहे थे, जहां उनके रिश्तेदार रहते थे और वे हिंसा के डर से रह रहे थे। संलग्न वीडियो में टोपी पहने एक व्यक्ति को खाकी वर्दी में एक बस चालक पर डंडे से हमला करते हुए दिखाया गया है। वीडियो को जल्दी ही एक लाख से अधिक बार देखा गया।
तथ्य की जांच से पता चला, यह घटना 18 फरवरी को महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के कन्नड़ में हुई, जिसमें एक बस ने एक कार को टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप उसमें सवार लोगों ने बाहर आकर चालक की पिटाई कर दी। यह किसी सांप्रदायिक उकसावे के बजाय रोड रेज का मामला था।
दिल्ली पुलिस की ओर से दायर चार्जशीट में कहा गया है कि दंगों के दौरान वॉट्सऐप ग्रुप्स में कई तरह के भड़काऊ मैसेज चले, जिनसे हिंसा और भड़की उठी।
यही नहीं उसी वक्त दक्षिणपंथी अफवाहतंत्र का हिस्सा बन चुकी ऑप इंडिया नाम की एक वेबसाइट ने एक रिपोर्ट प्रकशित की, जिसमें दावा किया गया कि दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय ने एक मंदिर पर कब्जा कर उसे नुकसान पहुंचाया है.इस लेख का शीर्षक था- ‘ग्राउंड रिपोर्ट: मुस्लिम भीड़ ने शिव मंदिर पर किया था कब्जा, छत से हिन्दुओं प हो रही थी पत्थरबाजी’. रवि अग्रहरि के द्वारा लिखे गए इस तथाकथित ग्राउंड रिपोर्ट में कई तरह के दावे किए गए ये दावे बेहद भड़काऊ और उकसावे से भरे थे लेकिन जब ग्राउंड पर जाकर पूछताछ की गयी तो पाया गया कि मामला वैसा नही था जैसा रिपोर्ट में लिखा गया
बंगाल में विधान सभा के चुनाव नतीजे आने के बाद हुई हिंसा में बीजेपी की आईटी सेल ने अपने कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा करते हुए शेयर किए गए वीडियो में एक ज़िंदा आदमी को ही अपना मृत कार्यकर्ता बता दिया बीजेपी ने जिसे अपना मृत कार्यकर्ता मानिक मोइत्रा होने का दावा किया , वह इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार अभ्रो बनर्जी थे और वह पूरी तरह से स्वस्थ थे यह गलती सामने आने के बाद बीजेपी आईटी सेल ने वीडियो को डिलीट कर दिया और अभ्रो की तस्वीर को हटाकर नया वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया
यह तो फिर भी साल दो साल पुरानी घटनाएं थी अभी कुछ महीने पहले ही बिहार में फर्जी वीडियो वायरल किए गये है कि बिहारी मजदूरों को तमिलनाडु में पीटा जा रहा है
इसकेे पीछे भी वहीं ताकतें काम कर रही थीं
ये लोग कितने बडे़ वाले है इसका अंदाजा आप इसी से लगा लीजिए कि उस लोहर्मषक घटना का वीडियो आने के बाद मची खलबली को मैनेज करने के लिऐ मणिपुर गैंग रेप मामले में Asian News International (ANI) ने कल एक फेक ख़बर चला दी. उसने बड़े ही चालाकी से मणिपुर हिंसा मामले में अब्दुल का नाम जोड़ दिया अब्दुल ट्विटर पर तीसरे नंबर पर ट्रेंड करने लगा. हालांकि कुछ देर बाद ट्वीट को डिलीट कर दिया इस फेक ख़बर के सहारे बीजेपी नेताओं और घटिया ट्रोल्स को मणिपुर गैंग रेप मामले का ज़िम्मेदार अब्दुल को ठहराने का मौक़ा मिल गया
यह घटना बताती है कि ये लोग किसी भी हद तक जा सकते है
इस देश की अब ईश्वर ही रक्षा करे