बहुत ख़ामोशी के साथ रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश में डिजीटल मनी यानी ई रूपी को लॉन्च कर दिया है …….होने को तो यह बहुत बड़ी ख़बर होनी थी लेकिन इसे जानबूझकर चुपचाप मार्केट में लाया जा रहा है ताकि हल्ला न मचे, हिंदी अख़बार या मीडिया में तो इसकी ख़बर आपको ढूंढे से नही मिलेगी
ये तस्वीर जो इस खबर के साथ लगी हुईं हैं यह भारत की डिजिटल करंसी की तस्वीर है। …..जी हां ये आने वाले वक्त की करंसी है जो आप अपने मोबाइल फ़ोन में रखने वाले हैं
रिजर्व बैंक द्वारा जारी इस ई रूपी में करेंसी नोट की ही तरह यूनिक नंबर है यानी कौन से नोट कब जेनरेट हुआ किस व्यक्ति ने किस को भेजा ये पूरा ट्रेक होगा
फिलहाल गूगल प्ले स्टोर पर अभी लगभग 10 बैंको की ऐप आ गईं हैं भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अलावा अन्य कई बैंको ने अपना डिजिटल ई रूपी लॉन्च कर दिया है।
आप यदि अलग अलग बैक की ऐप यूज करते हैं तो आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हर बैंक की एप्प का इंटरफेस अलग अलग होता है लेकिन आप जब विभिन्न बैंको का इस ई रूपी का ऐप देखेंगे तो पाएंगे कि सभी एप्प का इंटरफेस एक ही है दरअसल यह सीधे आरबीआइ से रन हों रही है बैंक का तो सिर्फ़ नाम है
हों सकता है कि अभी आप अपनें बैंक की इस ऐप को डाऊनलोड करे तो ये काम न करे क्योंकि फिलहाल गिने चुने लोगो को ईमेल के जरिए इनविटेशन भेजा जा रहा है जिसके जरिए ही वो इसका उपयोग कर रहे हैं जल्द ही इसे पब्लिक के लिए पूरी तरह से ओपन कर दिया जायेगा
भारत में इस मुद्रा को सीबीडीसी कहा जा रहा है CBDC करंसी नोट की तरह से ही एक लीगल टेंडर है इस CBDC को फिलहाल नोट के साथ बदला भी जा सकेगा। रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा में भारतीय करेंसी की तरह विशिष्ट अंक होंगे.
यह डिजिटल नोट भी करेंसी की तरह ही काम करेगा। साथ ही इन नोट को वापस बदलने की भी सुविधा है यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में आपके अकाउंट में दिखाई भी देगी
UPI और CBDC एक नही है
बहुत से लोग अभी भी कन्फ्यूज होगें कि हम तो अभी भी पेटीएम, फ़ोन पे या गूगल पे यानी यूपीआइ के माध्यम से डिजीटल मनी का इस्तेमाल कर ही रहे हैं तो इसमें क्या अलग है
जब आप UPI से किसी को डिजिटल रुप मे पेमेंट्स देते हैं तो वह पेमेंट एक तरह से चेक की तरह काम करता हैं। आप बैंक को निर्देश देते हैं। वह आपके अकाउंट में जमा राशि से ‘वास्तविक’ रुपए का पेमेंट या ट्रांजैक्शन करता है। हर डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई संस्थाएं, लोग शामिल होते हैं, जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं।
जेसे आप यदि किसी को क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट करते हैं तो क्या तत्काल सामने वाले को मिल जाता है? नहीं न ? दरअसल ऐसा डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक ले लेता है। यानी, पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया है।
यह वॉलेट से भी भिन्न है
इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट का इस्तेमाल करते हुए लोग अभी पैसा निजी कंपनियों को हस्तांतरित करते हैं. यह पैसा उनके पास रहता है जब पैसा किसी कंपनी के ई-वॉलेट में स्थानांतरित किया जाता है, तो उस कंपनी का ‘क्रेडिट’ जोखिम भी इस पैसे से जुड़ा होता है. इसके अलावा ये कंपनियां शुल्क भी लगाती हैं. और ये कंपनियां किसी लेनदेन पर ग्राहकों की ओर से मर्चेंट यानी दुकानदारों आदि को भुगतान करती हैं.
लेकिन जब आप सीबीडीसी की बात करते हैं इस ई रूपी की बात करते हैं तो आपने भुगतान किया और सामने वाले को मिल गया। यही इसकी खूबी है। CBDC से लेनदेन करते ही आप इसमें कैश को हैंड ओवर कर देते है इससे इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत ही नहीं रह जाती। यानि इस पेमेंट्स सिस्टम से लेनदेन ज्यादा रियल टाइम में और कम लागत में हो रहा है
CBDC कुछ हद तक क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन या ईथर ) जैसे काम करती है।क्योकि दोनों ही करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है लेकिन CBDC और क्रिप्टो में एक बड़ा अंतर है जो सब कुछ स्पष्ट कर देता है और वो ये है कि भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर है cbdc को RBI लागू कर रहा है जबकि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट लोग या कंपनियां जारी करती हैं।प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के किसी सरकार से नहीं जुड़े होने की वजह से इसमें जोखिम बहुत ज्यादा होता है इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं होती। गुमनाम रहकर भी लोग ट्रांजैक्शन कर सकते लेकिन इस डिजिटल रुपए की मॉनिटरिंग हो सकती है और किसके पास कितने पैसे हैं, यह हमेशा रिजर्व बैंक को पता रहेगा
यकीन मानिए यह UPI से बहुत आगे की चीज है यह जो आप देख रहें है यह मुद्रा का भविष्य है आप अपने जीवनकाल में एक ऐतिहासिक घटना के साक्षी बन रहे है……….प्राचीन काल में वस्तु विनिमय के लिऐ बार्टर प्रणाली चलती थीं …….फिर कीमती धातुओं ने मुद्रा का रुप लिया कांस्य मुद्रा आई चांदी की मुद्रा चली फिर स्वर्ण मुद्रा आई और फिर आया कागज का नोट लगभाग 150 सालो से कागज के नोट चल रहे हैं लेकिन हमारे जी तेजी इस प्रणाली में 21 शताब्दी के तीसरे दशक की शुरूआत में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है जिसे हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं
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