अभी तक हम मे से अधिकांश लोग ये मानते आए हैं कि अमीरों ने अपनी सारी दौलत 2000 के नोट की शक्ल में जमा कर रखी है, बड़े बड़े अधिकारी भी यह मानते हैं कि काला धन जमा करने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल बड़े डिनॉमिनेशन के यानी 500 और 2000 के नोटों का इस्तेमाल होता है। शायद इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई ही बंद कर दी गईं थी और आरबीआइ ने 19 मई 2023 को 2,000 रुपये मूल्य के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी और उपभोक्ताओं को 30 सितंबर तक ये नोट बैंकों में जमा करने या वहां पर बदलने की सुविधा दी हुई है
कल 1 अगस्त को यह खबर आई है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि सर्कुलेशन में मौजूद 2,000 रुपये के नोटों में से 88 प्रतिशत से अधिक नोट बैंकों में वापस आ गए हैं। यानि अभी मात्र 12% नोट ही बाजार में ही मौजूद हैं।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि बैंकों से मिली सूचनाओं से पता चलता है कि 31 जुलाई तक 2,000 रुपये के कुल 3.14 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन से वापस आ चुके हैं। आरबीआई ने जब इन नोटों को चलन से हटाने की घोषणा की थी, तब 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में मौजूद थे। गत 31 मार्च को इन नोटों का मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपये था।
अब सिर्फ़ 2,000 रुपये के सिर्फ 42,000 करोड़ रुपये मूल्य के नोट ही चलन में मौजूद हैं। और अभी इन नोट को जमा करने के लिए लगभग दो महीने का समय हैं जब डेढ़ महीने में 88 प्रतिशत नोट वापस आ गए है तो यह तय मानकर चलिए कि बचे दो महीने में ये नोट भी वापस आ जाएंगे
नोटबंदी के दो साल के बाद भारतीय रिजर्व बैंक की एनुअल जनरल रिपोर्ट आई थी जिसमे यह पता चला था कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं 99.3 फीसदी से भी ज्यादा पुराने नोट रिजर्व बैंक के पास लौट आए हैं
8 नवंबर, 2016 को 15,417.93 अरब रुपये की वैल्यू के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट सर्कुलेशन में थे. इसके बाद इनमें से जितने नोट वापस आए हैं, उनकी कुल वैल्यू 15,310.73 अरब रुपये है
यानी सिर्फ 0.7 फीसदी ही नोट वापस नही आये
क्या सिर्फ 0.7 फीसदी ही काला धन था ?
यानी यह तो ऐसा था जैसे चूहे मारने के लिए खड़ी फसल आग लगा दी जाए,
उस वक्त यह भ्रम खूब फैलाया गया कि बैंक वालो ने बाले बाले पुराने 500 और 1000 के नोट के बदले बडे़ पूंजीपतियों और व्यापारियों को 2000 के नोट दे दिए हैं इसलिए सारा काला धन 2000 के नोट की शक्ल ले चुका है
भाजपा ने 2014 की चुनावी मुहिम के दौरान एक विशेष समिति बनाई थी जिसने विदेशों में रखे भारतीयों के काले धन का एक अंदाज़ा लगाया था जो एक खरब डॉलर के करीब था और इस काले धन की राशि देश की जीडीपी के 45 से 70 प्रतिशत के बराबर है ……….
2014 में 15 लाख का जुमला बहुत लोकप्रिय था लोग अभी भी खाते में आने वाले 15 लाख का इंतजार कर रहे हैं ……….दरअसल उस वक्त मोदीजी का कहना था कि विदेशों में भारत का इतना काला धन जमा है कि वापस आ जाए तो हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए आ जाएंगे, बाबा रामदेव भी उस वक्त काले धन के मुद्दे पर खूब मुखर थे रामदेव का दावा था कि विदेशों में चार सौ लाख करोड़ रुपए जमा है……..
काले धन से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार बनने के ढाई साल बाद नरेंद्र मोदी नोटबंदी कर दी और कहा कि इससे काला धन भी खत्म हो जाएगा,
फिर वो 2000 का नोट ले आए और फिर काला धन 2000 के नोट में बदल जाने की बात फैलाई गई
आज ख़बर आई है कि 2000 के 88% नोट वापस आ गए तो फिर ये तो बताइए काला धन कहा गया ?
यह सच है तो जिस काला धन पर इतना हौव्वा मचाया गया वह कहा चला गया ?
true journalist पर बने रहिए हम आपको वो भी बताएंगे कि काला धन असल में कहा गया ?