एडिटर्स गिल्ड को सेना ने बोला कि आप मणिपुर आओ और यहां का जो लोकल मीडिया हिंसा की एकतरफा रिपोर्टिंग कर रहा है उसका संज्ञान लो…..सेना के अनुरोध पर एडिटर्स गिल्ड ने अपने तीन सदस्यों को सच्चाई का पता लगाने के लिए भेजा और उन्होेंमे एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट पब्लिश की…… अगले दिन मणिपुर के सीएम ने उन एफआईआर कर दी
फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी . इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.
सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘यह मानते हुए कि उन्होंने जो कहा वह झूठ है और आपका कहना है कि हर पैराग्राफ झूठा है, लेकिन किसी लेख में गलत बयान देना धारा 153ए के तहत अपराध नहीं होता. यह त्रुटिपूर्ण हो सकता है. त्रुटिपूर्ण चीजें देश भर में हर दिन रिपोर्ट की जाती हैं. क्या आप धारा 153ए के लिए पत्रकारों पर मुकदमा चलाएंगे?’
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्मी ने Editors Guild को चिट्ठी लिख मणिपुर आने के लिए कहा था। सेना समझती थी कि लोगों को सच कि बजाए दूसरी चीजें दिखाई जा रही हैं। लिहाजा Editors Guild के मंबर्स को मणिपुर आकर सच का पता लगाने का न्योता दिया गया था। वो धरातल पर गए। उनकी रिपोर्ट सही या गलत हो सकती है लेकिन हम अपनी मनमर्जी से फ्री स्पीच का गला तो नहीं घोंट सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज FIR में गिरफ्तारी पर रोक दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। अदालत ने शिकायतकर्ता से जानना चाहा कि मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ दो ग्रुप्स के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है।