आपने खबरों में सुना होगा कि यस बैंक की एसेट रीकंस्ट्रक्शन इकाई जेसी फ्लावर्स एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी और मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा के बीच दो साल से चल रहा विवाद समाप्त हो गया है जेसी फ्लावर्स ने सुभाष चंद्रा के 6500 करोड़ रुपये के कर्ज का 75 प्रतिशत हेयरकट कर दियाहै इसके तहत, यस बैंक को सिर्फ 1500 करोड़ रुपये वसूलने हैं और इसके उपरांत सुभाष चंद्रा को अपनी संपत्ति की वापस मिल जाएगी वो भी उन्हें किस्तों में चुकाने की सुविधा दी गयी है
आपने कभी ऐसा ऑफर आम आदमी को मिलते हुए नहीं सुना होगा लेकिन जी ग्रुप के सुभाष चंद्रा और बीजेपी को चंदा या हर तरह का सपोर्ट उपलब्ध कराने वालो के लिए ये विशेष सुविधा प्रदान की जाती है आपके ही बैंक में जमा पैसो के दम पर
इस समझौते के मुताबिक, जेसी फ्लावर्स को 30 दिनों के भीतर 15 प्रतिशत का भुगतान करना होगा, बाकी 85 प्रतिशत हिस्सा वह अगले 6 महीनों में चुकाना होगा। सुभाष चंद्रा की ओर से इसमें दिए गए ऋण का भुगतान किया जा रहा है, जिसका जिम्मा जेसी फ्लावर्स के ऊपर था। पिछले साल दिसंबर 2022 में, जेसी फ्लावर्स को 48 हजार करोड़ रुपये के गैर-फलन राशि को 11183 करोड़ रुपये में सौंप दिया गया था। यद्यपि इसमें सुभाष चंद्रा का हिस्सा था, लेकिन यह कर्ज उनके द्वारा जेसी फ्लावर्स के माध्यम से चुकाया गया था। समझौते के बाद, सुभाष चंद्रा को अपनी बिगड़ी हुई देनदारी वापस मिल गई है और वह अपने नियंत्रण में आने वाली तीन प्रॉपर्टीज, जैसे कि डिश टीवी, जी लर्न और सेंट्रल दिल्ली में स्थित बंगले पर पुनः नियंत्रण प्राप्त करेंगे।
वो कैसे यह समझिए। ……
तीन साल पुरानी बात है यस बैंक लिमिटेड एक निजी बैंक हुआ करता था। 2020 तक वह बहुत ज्यादा घाटे में चला गया, और उसने हाथ ऊँचे कर दिए यस बैंक की इस स्थिति के बड़ा जिम्मेदार एस्सेल ग्रुप था एस्सेल समूह के मालिकथे सुभाष चंद्रा जो खुद को अब एक मार्केटिंग गुरु के रूप में पेश करतेथे सुभाष चंद्रा आज भी मोदी सरकार के खासे करीबी माने जाते हैं ओर भाजपा के सहयोग से राज्यसभा सदस्य बने हुए हैं अपने चैनल जी न्यूज के माध्यम से मोदी के हर गलत काम को सही ठहराना इनके प्रिय शगल भी है..……..
साल 2019 की शुरुआत में जी समूह के शेयर बाजार में एकाएक धड़ाम हो गए जानकारों के मुताबिक इसकी तात्कालिक वजह एक मीडिया रिपोर्ट थी जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के बाद नित्यांक इंफ्रापावर नाम की एक कंपनी ने 3000 करोड़ रुपये जमा कराए थे जिसका संबंध एस्सेल ग्रुप की कम्पनियों से होना पाया गया, सुभाष चंद्रा इसके कारण मुश्किल में आ गए और जी समूह पर डिफॉल्ट का खतरा मंडराने लगा……..
इसकी वजह से पूरा यस बैंक संकट में आ गया सुभाष चंद्रा की एस्सेल समूह की कंपनियों पर म्यूचुअल फंड और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज था , जिसमें साढ़े छह हजार करोड़ रुपये कर्ज येस बैंक का ही था
यस बैंक एक निजी बैंक था उसे डूबने देना था लेकिन नहीं देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को उसे बचने की जिम्मेदारी सौपी गयी आनन फानन में SBI से 11,760 करोड़ उसमें डलवाए गए और लगभग 49 फीसदी का भागीदार बनाया गया आज की तारीख में यस बैंक जो है, वो एसोसिएट बैंक एसबीआई का माना जाता है, उसकी कैटेगराइजेशन जो है वो है, एसोसिएट बैंक ऑफ एसबीआई। अब वो निजी बैंक नहीं माना जाता है, अब वो एसबीआई का एसोसियेट बैंक है।
पिछले दो सालो में सुभाष चंद्रा को हर तरह से बचाया गया यहाँ तक कि नोएडा में उन्होंने एक एफआईआर की इस एफआईआर में सुभाष चंद्र गोयल ने जो शिकायत की है, वो ये थी कि यस बैंक ने जबर्दस्ती मुझे लोन दिया। और भी बहुत सी गलत प्रैक्टिस अपनाई गयी। …….उसके बारे में फिर कभी बात करेंगे
दिसंबर 2022 में में एक बड़ा खेल खेला गया एक एसेट रिस्ट्रक्चरिंग कंपनी जेसी फ्लावर्स को यस बैंक का 48 हजार करोड़ का npa यानि बैड लोन के मात्र 11,183 करोड़ रुपये में बेच दिया गया यस बैंक फिर से पाक साफ़ हो गया , इसमें सुभाष चंद्रा का हिस्सा था, लेकिन यह कर्ज उनके द्वारा जेसी फ्लावर्स के माध्यम से चुकाने की ट्रिक अपनाइ गयी और पिछले दिनों मात्र 1500 करोड़ चुकाने पर उनका सारा लोन सेटल कर दिया गया
हम जानते कि बीजेपी राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा को कैसा मैनेजमेंट गुरु बनने का शौक चर्राया हुआ था , सुभाष चंद्रा अपने जी टीवी नेटवर्क पर हर शाम नैतिकता और सदाचार की दुदम्भी बजा कर घूमते रहते थे ये अपने प्रायोजित कार्यक्रम में युवाओं को टिप्स बाटते आये है यह कुछ ऐसा ही है जैसे बिल्ली नो सौ चूहे खाने के बाद हज पर जाने की बाते करने लगती है………..