2019 के चुनाव मे हेराफेरी पर रिसर्च पेपर लिखने वाले सब्यसाची दास के पीछे IB को लगा दिया गया हैं

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चंडीगढ़ से द ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है  कि सोनीपत में स्थित अशोक विश्वविद्यालय में कल कुछ लोगो ने दौरा किया जो अपने आपको इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का कर्मचारी बता रहे थे दरअसल वे  पता लगा रहे थे कि क्या  प्रोफेसर डॉ. सब्यसाची दास  ने “डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी” जैसे कुछ और पेपर्स तो नहीं लिखे, क्या विश्वविद्यालय को उनकी इस रिसर्च के बारे में कोई जानकारी थी 
तीन सदस्यीय इस आई बी की टीम ने दूसरे दिन भी अशोक विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया और उस अर्थशास्त्र विभाग के संकाय के साथ बातचीत की थी, जिसका इस्तीफा स्वीकार किए जाने से पहले सब्यसाची दास भी हिस्सा थे।इस टीम ने परिसर में मौजूद कुछ छात्रों से भी मुलाकात की और उनसे पूछा कि दास ने आपको क्या पढ़ाया 
दरअसल अशोका यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सब्यसाची दास के इस्तीफे के बाद एक और प्रोफेसर पुलापरे बालाकृष्णन ने इस्तीफा दे दिया था . पूरा अर्थशास्त्र विभाग सब्यसाची दास के समर्थन में है और यूनिवर्सिटी की गवर्निंग बॉडी को ओपन लेटर लिखकर प्रोफेसर दास को उनके पद पर बहाल करने की मांग कर रहा है 
 सब्यसाची दास अशोक विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर थे और वे येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएच.डी. है। अशोका में शामिल होने से पहले, उन्होंने दिल्ली में भारतीय सांख्यिकी संस्थान में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में कार्य किया। उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र राजनीतिक अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक अर्थशास्त्र और व्यावहारिक माइक्रो इकनॉमिक्स हैं। अशोका के अलावा भी सब्यसाची दास ने मास्टर्स और पीएचडी के लिए राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर शिक्षण पाठ्यक्रमों के माध्यम से  छात्रों को अपना ज्ञान प्रदान किया है।
25 जुलाई को दास ने “डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी’ रिसर्च पेपर को सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क पर पब्लिश किया इस पर हंगामा खड़ा हो गया
दास ने 2019 के चुनावो में धांधली की संभावना का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने धांधली करवाई, खासतौर से उन राज्यों में जहां पर बीजेपी की सरकार थी. इस वजह से पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली. . आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर दास ने यह भी कहा उनके पास इस बात के सबूत हैं कि वोटिंग और वोटरों के रजिस्ट्रेशन के समय किस तरह गड़बड़ी की गई यह पेपर पब्लिश होते ही तुरंत अशोका युनिवर्सिटी वालों न दास के रिसर्च पेपर से दूरी बना ली और उन्हे इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया
अशोक यूनिवर्सिटी पर दबाव बनाने का खेल आज का नहीं है दरअसल हरियाणा के सोनीपत में स्थित एक प्राइवेट कॉलेज है जो जिसकी शिक्षा लिबरल आर्ट्स पर केंद्रित है. यहां कुछ ऐसा ही मार्च 2021 में हुआ था, जब स्कॉलर प्रताप भानु मेहता ने यूनिवर्सिटी से अपना इस्तीफा दे दिया था. मेहता के पद छोड़ने के ठीक दो दिन बाद, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यन ने भी फैकल्टी मेंबर के पद से इस्तीफा दे दिया. अपने बयान में, सुब्रमण्यम ने कहा कि उन्हें इस बात से परेशानी हो रही है कि मेहता को यूनिवर्सिटी छोड़ना पड़ा।

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