नो कार डे नही, “कार फ्री डे” होता है मेयर साहब

आर्टिकल शेयर कीजिए

22 सितंबर को पूरी दुनिया मे “कार फ्री डे” मनाया जाता है लेकिन इंदौर मे हमारे महापौर”नो कार डे” मना रहे है

आप पूछेंगे कि इसमें अंतर क्या है ?

 

बड़ा गहरा अंतर है यदि आप समझना चाहे तो !

 

कार फ्री डे एक तरह का आव्हान है इस वाक्यांश से ही पता चल जाता है कि यह ऐच्छिक है, 22 सितंबर को काफ़ी पहले से कार फ्री डे मनाया जाता रहा है

 

लेकिन “नो कार डे” कहना अपने आप मे गलत है “नो” कहना एक तरह का निषेध है यहां अधिकारपूर्वक यह कहा जा रहा है कि ऐसा मत करो, यह मनाही, प्रतिबंध, न करने का आदेश माना जा रहा है, यह निषेधात्मक आज्ञा की तरह लग रहा है

 

यहां इंदौर में लोग कंफ्यूज हो रहे है कल इन्दौर के एक बडे़ फेसबुक ग्रुप पर एक पोस्ट इंदौरवासी ने डाली कि…… “कल no car day है पर मुझे कल खंडवा जाना है और खंडवा की बस सेवा अभी भी अभी शुरू नही हुई है ऐसे में मुझे कार से जाने की परमिशन केसे मिलेगी”

 

इस पोस्ट पर सैकड़ो कमेंट आए

उन्हे पढ़कर मैने सर पीट लिया …… कई लोग इसे नियम यानी रूल समझ रहे थे वो समझ ही नही पाए कि ये ऐच्छिक है

 

दरअसल इंदौर महापौर जो इसे “नो कार डे” कह रहे हैं वो उसकी जगह “कार फ्री डे” भी कह सकते थे पर नही कहा गया……

 

मोटर चालकों को एक दिन के लिए अपनी कार नहीं चलाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया भर में हर साल 22 सितंबर को वर्ल्ड कार-फ्री डे मनाया जाता है एमएलएमभारत में दिल्ली में सबसे पहले 22 अक्टूबर, 2015 को अपना पहला कार फ्री दिवस मनाया

बढ़ते प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1950 के दशक में कई लोगों ने कार संस्कृति का विरोध किया। इसी तारतम्य मे यह दिवस मनाया जाने लगा बाद मे ग्लोबल वार्मिंग का पुछल्ला इसके साथ जुड़ गया

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को एलान किया कि हरियाणा के करनाल मे 22 सितंबर 2023 को ही कार फ्री डे ही मनाया जायेगा

 

“नो कार डे” भी मनाया गया है लेकिन वो चीन मे मनाया गया है नो कार डे मूल रूप से 2008 के बीजिंग में आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की तैयारी के लिए शुरू किया गया था चीनी राष्ट्रीय शहरी परिवहन अभियान निर्माण मंत्रालय ने आयोजित किया 22 सितंबर के सप्ताह के दौरान, पैदल चलना , बाइक चलाना , सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित किया गया नो कार डे पर सैकड़ों शहरों में विशेष ‘ग्रीन जोन’ बनाए गए भीड़भाड़ वाले ये क्षेत्र केवल पैदल यात्रियों , साइकिलों और बसों के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खुले थे कारे यहां प्रतिबंधित थी

 

2007 मे मनाए जा रहे इस चीनी नो कार डे के बारे मे बीबीसी ने लिखा कि 100 से अधिक शहर नो कार डे में भाग ले रहे थे , लेकिन इसका हर जगह कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। चीन की राजधानी बीजिंग में सड़कों पर कारें इस तरह थीं मानो यह कोई सामान्य दिन हो।

 

बड़ा सवाल यह है कि नो कार डे मनाकर चीन का अनुसरण क्यो किया जा रहा है, क्या भारत मे उपस्थित नागरिक समाज का चीनी संस्करण तैयार किया जा रहा है जो चीन के नागरिक समाज जितना ही आज्ञाकारी हो,

क्या एक भारतीय नागरिक को भी चीनी नागरिक की तरह से तैयार किया जा रहा है जो अपनी बुद्धि और स्वतंत्रता को अपने नेता व मालि

क को सुपुर्द कर देता है

 

1 Comment

  1. जब लोग ऑड इवन जैसी योजना का मजाक बना सकते हैं… तो उन्हें ऐसे आदेशों के लिए तैयार रहना चाहिए… मुश्किल तो यह है लोग ठोकर खाकर भी नहीं संभलते

Leave a Reply to Dharmesh Suresh Chaurasia Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *