Facebook के वायरल हो रहे मैसेज की असली हकीकत यह है!….

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“याद रखें कि कल से नया Facebook नियम अर्थात नया नाम Meta शुरू हो रहा है…अंतिम तिथि आज है”

रुको जरा….

सबर करो

पहले पूरी बात समझ लो ……

ये भसड़ तब शुरु हुईं जब पिछ्ले साल जुकरबर्ग ने अपनी कम्पनी का नाम फेसबुक से मेटावर्स कर लिया और तब से ये मैसेज कभी न कभी वायरल हो जाता है

जुकरबर्ग ने ये नाम परिवर्तन अपनी सुविधा के लिए किया, आपकी यानी यूजर की सुविधा के लिए नही !……इसलिए उसके नियम शर्तो में कोई बदलाव करने का मौका तब भी नही था और अब भी नहीं है ….

दुसरी बात जो इस मेसेज में कहीं जा रही है

“जहां वे आपकी तस्वीरों का उपयोग कर सकते हैं।”

मैं फेसबुक या फेसबुक से जुड़ी किसी भी इकाई को अपने अतीत और भविष्य के चित्रों, सूचनाओं, संदेशों या प्रकाशनों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता।”

तो भाई सुन लो…. कि जब आप फेसबुक अपने फोन में इंस्टाल करते हैं (आजकल फेसबुक एप बहुत से फोन में प्री इंस्टाल आता है) तो इसमें लॉगिन करने के साथ ही आप उसे बहुत सी परमिशन अपने आप ही दे देते हो……

अगर आप को वो परमिशन नही देनी है तो एक काम करो अपने फोन की सेटिंग में जाओ और डिवाइस सिक्योरिटी मे जाओ परमिशन मैनेजर को खोलो और वहा देखो कि आपने एफबी को और दूसरी एप को क्या क्या यूज करने की परमिशन दी हुईं है

Calender

Call log

camera

Conatact

File

Location

Microphone

इन सबको यूज करने की परमिशन आपने एफबी को दी हुईं है, आप इसे तुरंत बंद कर दो, हों सकता है आपको वाल पर अपडेट मिलने बंद हो जाए, और भी बहुत कुछ हो सकता है

तो तरीका तो एक यहीं हैं…… और याद रखिए कि आज किए जाने वाला कोई कार्य भूतलक्षी प्रभाव नहीं रखता है….जो आज से पहले तक आप फेसबुक पर एक्टिविटी कर रहे थे उसे तो फेसबुक मनचाहे ढंग से इस्तेमाल कर सकता है

आप क्या सोच कर बैठे है कि ये एक सड़ी सी पोस्ट एफबी पर ठेल देने से अपना नाम लगा कर फॉरवर्ड करने से जुकरबर्ग आपसे डरकर तुरंत ये काम बंद कर देगा…

वक्त हैं मूर्खो के स्वर्ग से बाहर आने का

दुनियां मे फ्री लंच जैसी कोई चीज नहीं होती वैसे ही फेसबुक समेत मुफ्त मे मिलने वाली हर एप फ्री नही है

फेसबुक के लिए आप ही प्रोडक्ट हो….वो आपको ही बेच रहा है…..

अब तीसरा पॉइंट भी समझ लो

इस वायरल पोस्ट में आगे लिखा आता हैं…..”इस बयान के साथ ; मैं फेसबुक को सूचित करता हूं कि इस प्रोफाईल और/या इसकी सामग्री के आधार पर मेरे खिलाफ खुलासा, प्रतिलिपि, वितरण या कोई अन्य कार्रवाई करना सख्त वर्जित है। निजता का उल्लंघन करने पर कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है।”

कहा हो भाई आप !……

आपको तो फेसबुक हजारों लाखों बार बेच चुका है !

और आगे भी बेचेगा क्योंकि हमारी सरकार या तो अंधी है या फेसबुक से मिली हुईं है

 जेसे ….आपने कभी गौर किया कि कभी आप फोन चालू रख कर जूता खरीदने की बात करते हों और आपको अपनी फेसबुक वॉल पर जूते के विज्ञापन दिखना शुरु हों जाते है …..

ये तभी होता है जब आप अपनी हर ऐक्टिविटी को शेयर करने की परमिशन खुद देते हों तो एफबी या दूसरी कोइ एप या गूगल भी आपकी हर एक्टिविटी को बेच रही है

अभी जब मे यह पोस्ट लिख रहा हूं तो मैं ट्रैन मे ट्रेवल कर रहा हूं अभी जाकर मैंने परमिशन मैनेजर पर लोकेशन वाला लॉग निकाला…. हर 15 से 20 मिनट मे फेसबुक ने मेरी लोकेशन का डेटा शेयर किया उसे अपडेट किया….. यानी कि मेरी ट्रैन कौन से स्टेशन से अभी निकली ये डेटा भी थर्ड पार्टी को भेजा जा रहा है

आप कहा निजता यानी प्राइवेसी की बात लेकर बैठ गए? कोई प्राइवेसी नही है आपकी!य

 

यह मेरा अनुभूत प्रयोग है कोई सुनी सुनाई बात नही है…. दरअसल मैने कुछ महीने पहले एफबी को रिक्वेस्ट की थी कि मेरी सारी पोस्ट जो मैने अपनी वाल पर डाली है उसका पूरा बैकअप मुझे दिया जाए लगभग सात साल का डेटा था……

कुछ दिन बाद मेरे मेल पर मेसेज आया कि आपका डेटा तैयार है उसे आप डाउन लोड कर ले मुझे लगा कि कुल मिलाकर बहुत से बहुत दो सौ या तीन सौ एमबी का डेटा होगा लेकिन नहीं!….. पूरे 10 जीबी का डेटा बना…… हर चीज का फेसबुक रिकॉर्ड रखे हुऐ हैं आपके एफबी पर बिताए हर सेकंड के डिजिटल फुट प्रिन्ट उसके पास सुरक्षित है उसने कम से कम मुझे 20 अलग नाम के फोल्डर भेजें मेरा पोस्ट वाला फोल्डर तो मात्र 50 से 60 एमबी का का ही था बाकी सब अलग अलग फोल्डर थे उसमे से एक फोल्डर देख कर मैं चौक गया उस फोल्डर में वो सारा डेटा था जो फेसबुक ने किसी अन्य थर्ड पार्टी को भेजा….. और वो भी बहुत बड़ा डेटा था एफबी मेरी हर ऐक्टिविटी को मेरी पसंद नापसंद को केटेगराइज कर रहा था और उसे बहुत सी कम्पनियों को बेच रहा था……. और वो मुझे भी बता रहा हैं कि मैने आपको इस इस को बेचा है

तो ये है असलियत इस वायरल होने वाली पोस्ट के अंत मे सिर्फ़ एक ही वाक्य काम का लिखा हैं और वो है कि….”जो कुछ नहीं करता, वह जाहिर तौर पर सहमत होता है।”…….

सही बात है कि जो कुछ नहीं करता, वह जाहिर तौर पर सहमत होता है….. लेकिन सच बताए तो हम कुछ भी नही कर सकते….. यदि कुछ करने जाएंगे तो हमे वैसे ही जीवन जीना पड़ेगा जैसे कांस्ययुग मे हमारे पूर्वज जीवन बिताते थे….. जंगल मे सभ्यता से दूर….

अगर वाकई कोई कुछ कर सकता हैं तो वो कर सकती हैं हमारी सरकार…..

और यकीन मानिए वो कुछ नही करने वाली……..

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