देश के मुंह पर कालिख पोतने वाला वाक्यांश खुद मोदी जी ने 2012 में दिया था जब upa के कोल घोटाले की बात चल रही थी लेकिन आज मोदी जब प्रधानमंत्री बन गए है तो उनके गृहराज्य में चल रहे असली घोटालो की पोल खुलने लगी है
गुजरात में पावर सेक्टर में गजब के घोटाले हुए है पिछले साल पता लगा था कि गुजरात सरकारने अडानी से लगभग चौगुनी दर से बिजली खरीदी है अब पता चला है कि बिजली बनाने के लिए जो कोयला अडानी से मंगवाया गया उसमे जबर्दस्त ओवर इनवॉसिंग की गयी है
और यह आरोप हम नहीं लगा रहे ये आरोप खुद गुजरात ऊर्जा विकास निगम ने लगाए है
गुजरात ऊर्जा विकास निगम का कहना है कि उसने गौतम अडानी ग्रुप की अडानी पावर को साल 2018 से 2023 के बीच 3900 करोड़ रुपए का एक्स्ट्रा पेमेंट कर दिया है.
दरअसल 5 सालों में गुजरात ऊर्जा विकास निगम ने अडानी पावर से बिजली खरीद के लिए जो समझौता किया था उसमें इंडोनेशिया से कोयला आयात करने की एक शर्त रखी गई थी कि अगर कोयले की कीमत बढ़ती है तो अडानी पावर बिजली के भाव बढ़ा सकती है.
पिछले 5 सालों के दौरान कोयले के भाव में बदलाव की पुख्ता जानकारी और सबूत दिए बिना अडानी पावर ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम से बिजली के अधिक भाव वसूल लिए हैं. इस प्रक्रिया में उसके पास करीब 3900 करोड़ रुपए अधिक आ गए हैं.
अब गुजरात ऊर्जा विकास निगम ने अडानी पावर से इस पैसे की रिकवरी के लिए नोटिस भेजा है. 15 मई 2023 को लिखे एक पत्र में गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने कहा है कि अडानी पावर पैसे लौटाने के इस मामले में सहयोग नहीं कर रही है और वह इंडोनेशिया से कोयले के आयात से संबंधित विस्तृत जानकारी देने में असफल रही है.
गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने यह भी आरोप लगाया है कि इंडोनेशिया में वास्तव में उस समय कोयले का जो भाव था, अडानी पावर ने उससे महंगी दर पर कोयला आयात करने की जानकारी दी है.
आपको याद होगा कि 2018 में कोयला आयात मामले की जांच में डीआरआई ने पाया कि इन कंपनियों ने बिजली के लिए विदेश से जो कोयला मंगाया उसकी लगातार ओवर-इनवॉइसिंग की गयी हैं, यानि जानबूझकर कीमत असल कीमत से बढ़ाकर दिखाई ताकि यह बता कर बिजली के दाम बेतहाशा ढंग से बढ़ाए जाए
इकनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली के संपादक रहे परंजय दास गुहा की नोकरी अडानी के दबाव में ही चली गयी थी जब उन्होंने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी पावर लिमिटेड को 500 करोड़ रपए की छूट सरकार ने कस्टम ड्यूटी को लेकर दी हैं और वीकली के मुताबिक पहले इसी अधिनियम में किसी तरह के रिफंड का कोई प्राविधान नहीं था लेकिन अडानी को तात्कालिक लाभ देने के लिए बदलाव किया गया. वीकली का दावा था कि अडानी ग्रुप ने जिस रकम पर रिफंड लिया वो रकम बतौर कस्टम ड्यूटी उसने कभी दी ही नहीं थी.
इस घोटाले को समझना है तो पूरी बात समझना होगी। …..2007 में गुजरात सरकार और अडानी के बीच पावर परचेज एग्रीमेंट किया गया. इसके बाद 2018 में अडानी ने गुजरात सरकार के साथ एक और एग्रीमेंट साइन किया. उसमें कहा गया कि कोयला महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है. इसलिए सरकार को बिजली के दाम महंगे देने पड़ेंगे. लेकिन एग्रीमेंट में यह शर्त लिखी गई कि आर्गस ग्लोबल कंपनी द्वारा दुनिया भर के देशों में कोयले का जो दाम बताया जाएगा, उसके अनुसार ही भुगतान किया जाएगा. आर्गस ग्लोबल कंपनी दुनिया भर में कोयले का क्या दाम है, ये बताती है.
लेकिन अनुबंध में ये दाम कैसे चेक होंगे इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गयी 2018 से 2023 तक अडानी ने कोयले का दाम जितना बताया है, गुजरात सरकार उतनी पेमेंट करती रही. गुजरात सरकार ने इस दौरान अडानी की कंपनी को 13802 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया.हैरानी की बात है कि गुजरात मॉडल की बात करने वाली गुजरात सरकार ने आर्गस ग्लोबल कंपनी के रेट से सत्यापन नहीं किया कि उस वक्त इंडोनेशिया में कोयले का क्या रेट था?
हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद गुजरात सरकार को लगा कि वो फंस जाएगी इसलिए उसने अडानी ग्रुप को 15 मई 2023 को एक चिट्टी लिखी. इस चिट्टी में गुजरात सरकार ने कहा कि अडानी ने जहां-जहां से जितने दाम में कोयला खरीदा, उसका कोई प्रमाण, कागजात या बिल नहीं दिए. चिट्टी में लिखा है कि अडानी ने जिस वक्त इंडोनेशिया में महंगा कोयला बताया, उस वक्त कोयले का दाम सस्ता था. संजय सिंह ने कहा कि अडानी की कंपनी ने गुजरात सरकार से 3802 करोड़ रुपए का भुगतान लिया. गुजरात सरकार ने अडानी से यह पैसा वापस करने को कहा है.
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने इस घोटाले को उजागर करते हुए कहा कि ईडी-सीबीआई, इनकम टैक्स विभाग और सरकार की अन्य जांच एजेंसियां कहां सो रही हैं? जांच एजेंसियां छोटी-छोटी बात पर बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, तमिलनाडु पहुंच जाती हैं और दिल्ली में रोज छापेमारी कर रही हैं. सबको पकड़कर जेल में डाल रही हैं, लेकिन इतना बड़ा घोटाला उसे दिख नहीं रहा। ……..