तीनों चुनाव आयुक्त अपने पट्ठे ही होने चाहिए ताकि, ईवीएम और VVPAT पर सवाल न उठे ! 2019 में जीतने के बाद भी क्या खटक गया था बीजेपी को ?

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2019 के चुनाव में अशोक लवासा ने बीजेपी सरकार के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी क्योकि वे ‘ईवीएम-वीवीपैट की जांच कराना चाहते थे

नवम्बर 2019 में पूर्व IAS ऑफिसर के गोपीनाथन ने लवासा के सम्बन्ध में  बहुत महत्वपूर्ण बयान दिया था। ……… गोपीनाथन ने कहा कि लवासा को ‘सरकार इसलिए निशाना बना रही है’ क्योंकि उन्होंने ‘ईवीएम-वीवीपैट में खामियां ढूंढने में दिलचस्पी दिखाई थी।’ गोपीनाथन ने ट्वीट करके लिखा, ‘एक चुनाव आयुक्त जिसने ईवीएम-वीवीपैट की प्रक्रिया में खामियां ढूंढने में दिचलस्पी दिखाई, उसे सरकार ने निशाना बनाया। हम अभी भी चुप हैं और उन्हें उनकी छवि खराब करने और बदनाम करने दे रहे हैं।’

के गोपीनाथन खुद भी ईवीएम पर सवाल उठा चुके थे सितंबर 2019  में उन्होंने आरोप लगाया था कि पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों की वजह से ईवीएम से छेड़छाड़ का खतरा है।

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अशोक लवासा लोकसभा चुनाव के दौरान सुर्खियों में आ गए थे. जब उन्होंने आचार संहिता के कथित तौर पर उल्लंघन के मामले में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ शिकायतों वाले चुनाव आयोग के क्लीन चिट देने के फैसले पर असहमति जताई थी. उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह से जुड़े पांच मामलों में क्लीन चिट दिए जाने का विरोध किया था

दरअसल  अशोक लवासा के चुनाव आयुक्त रहते हुए दिल्ली में एक व्यक्ति द्वारा वोट और वीवीपैट पर्चियों में मिलान नहीं होने का दावा करने के बाद चुनाव आयोग ने जांच के आदेश दिए थे  मामला पश्चिमी दिल्ली के मटियाला विधानसभा क्षेत्र के एक पोलिंग बूथ का था

चुनाव आयोग ने दिल्ली मुख्य निर्वाचन कार्यालय से उस व्यक्ति के आरोपों की जांच करने को कहा, जिसने दावा किया था कि उसे उसके द्वारा डाले गए वोट और वीवीपैट मशीन में दिखाई देने वाले वोटों के बीच बेमेल के बारे में शिकायत करने से रोका गया था। एक मतदाता का कहना था कि “मेरी वीवीपैट मशीन (दिल्ली, मटियाला, बूथ 96) ने गलत प्रतीक मुद्रित किया, हालांकि ईवीएम मशीन का लाल बल्ब सही ढंग से चमक रहा था। मैंने पीठासीन अधिकारी से शिकायत की, जिन्होंने मुझे नोडल अधिकारी के पास भेजा, जिन्होंने मुझे सेक्टर अधिकारी के पास भेजा। उन सभी ने मुझसे शिकायत न करने के लिए कहा, भले ही मैंने जोर दिया।”“उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे आईपीसी की धारा 177 के तहत गिरफ्तार किया जाएगा। मुझे यह अजीब लगा क्योंकि यह धारा अदालत के आदेश के बिना गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं करती है। मैंने उनसे कहा कि मैं फिर भी एक लिखित शिकायत दर्ज कराऊंगा। सबसे वरिष्ठ अधिकारी ने मुझसे कहा कि मुझे अनुबंध 6 में लिखना होगा, बाद में इस व्यक्ति को और भी परेशान किया गया

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उसकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने ट्वीट किया, “सीईओ दिल्ली को जांच करने के लिए कहा गया है।

यही ट्वीट अशोक लवासा को ले बैठा, बीजेपी सरकार को लगा कि अगर वाकई में जांच हो गयी तो पूरी पोल पट्टी बाहर आ जाएगी

 

वो पोल पट्टी क्या थी IAS ऑफिसर के गोपीनाथन क्या बताना चाहते थे बने रहिए true journalist पर

1 Comment

  1. ईवीएम हटाओ देश बचाओ बीजेपी हटाओ देश बचाओ

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