लाल लाल आंखे दिखाने वाले कर रहे है रूस को हजारों करोड़ रुपए का युआन में भुगतान

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जी हां हम रूस से जो कच्चा तेल खरीद रहे हैं उसका भुगतान रुपए में नही बल्कि युआन में किया जा रहा है 
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) के एक सीनियर अधिकारी ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की है कि रूस को युआन में भुगतान हो रहा है। अधिकारी ने बताया की भुगतान रुपए और दिरहम में हो रहा था। लेकिन इस प्रक्रिया में समय लग रहा है और रूसी संस्थाओं को भुगतान में देरी हो रही है। अधिकारी के मुताबिक रूसी तेल के लिए जितना भुगतान किया जाता है, उसका सिर्फ 10 फीसदी ही युआन में पेमेंट हो रहा है। हालांकि अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पूरे मामले पर कोई टिप्‍पणी नहीं की गई है।
दरअसल यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस पर पश्चिम प्रतिबंधों के कारण कच्चे तेल के लिए डॉलर में पेमेंट करना भारत के लिए मुश्किल हो गया था. जिसके बाद भारत को डॉलर का विकल्‍प तैयार करना पड़ा. इस मुश्किल को आसान करने के लिए भारत ने युआन में पेमेंट की. अप्रैल में रूसी उप प्रधानमंत्री और उद्योग मंत्री डेनिस वैलेंटाइनोविच मंटुरोव के हवाले से खबर आई थी कि भारत की तरफ से आयात की कमी के कारण रुपए का उपयोग नहीं हो पा रहा है और  रूस के पास रुपए की तुलना में युआन खर्च करने के अधिक विकल्‍प हैं। इसलिए यह व्यवस्था चल रही है
एक बड़ी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि  मोदी सरकार रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भी पेट्रोल डीजल सस्ता नहीं कर रही है
यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा केवल 0.2 प्रतिशत था। 2023 की शुरुआत में जनवरी, 2023 में यह बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है।

जी हां 28 प्रतिशत !!!भारत की मोदी सरकार बेंट क्रूड की तुलना में रूस से कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीद रही है

रूस युक्रेन युद्ध के शुरुआत के समय तो रूस भारत को 35 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट दे रहा था उस वक्त इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल (Crude oil) के दाम आसमान पर थे , सितंबर 2022 से रूस अपने तेल को ब्रेंट क्रूड के मुकाबले 20 डॉलर प्रति बैरल सस्ता बेच रहा था

दिसंबर में रूस ने भारत को रोजाना 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की सप्लाई की. जनवरी में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात बढ़कर 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यानी लगातार सस्ते दामों पर देश को कच्चा तेल मिल रहा है इस दौरान बेंट क्रूड के दाम भी घटे है लेकिन आम जनता के लिए पेट्रोल डीजल के कीमतों में कोई कटौती नहीं की गई !!!

कटौती नही की तो चलिए नही की लेकिन आप चीनी मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण कर इसमें भी चीन की मदद क्यो कर रहे हों ‘सवाल यह है कि हम अपनी मुद्रा में भुगतान क्यों नहीं कर रहे हैं. भारतीय रिफाइनर रूसी कच्चे तेल की कीमत का युआन में भुगतान क्यों कर रहे हैं?

आम जनता को इस तरह से लूट कर सरकार किसकी जेब भर रही है?

इसका सही जवाब है चीन की

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