नकली महामारी को छोड़िए असली महामारी तो यह थी : पैनकिलर

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दो दिन पहले नेटफ्लिक्स पर एक नयी वेबसिरिज आयी है नाम है पेनकिलर
एक लम्बे समय से ऐसी ही सीरीज देखने की इच्छा रख रहा था जिसमे दुनिया की टॉप फार्मा कम्पनियो के लालच की उनकी कार्यप्रणाली की पोल खोली गयी हो इस वेब सीरीज को को देखने से ये तलाश खत्म हुई है इस वेबसिरिज की सबसे अच्छी बात यह है कि यह पूरी तरह से सत्य घटनाओ पर आधारित है

पेनकिलर सीरीज बैरी मायर की किताब, पेन किलर: एन एम्पायर ऑफ डीसिट एंड द ओरिजिन ऑफ अमेरिकाज ओपियोइड एपिडेमिक पर और न्यू यॉर्कर लेख “द फैमिली दैट बिल्ट द एम्पायर ऑफ पेन”, पैट्रिक रैडेन कीफे द्वारा लिखित, ऑक्सीकॉन्टिन के उदय और अमेरिका में इसके स्थायी प्रभाव का दस्तावेजीकरण पर आधारित है

यह वेब सीरीज अमेरिका में ओपियोइड संकट की उत्पत्ति और परिणाम का पता लगाती है, और इसमें शामिल लोगो और घटनाओं पर प्रकाश डालती है।”

भारत में हम इस ओपियोइड शब्द के बारे में ज्यादा नही जानते लेकिन अमेरिका में फार्मा कंपनियों ने अपने लालच को इस ओपियोइड महामारी में बदल दिया

यह केसे शुरू हुआ ? इसी की कहानी कहती हैं पैन किलर

दरअसल ओपिओइड दवाओं का एक विविध वर्ग को कहते हैं जिससे नशे की लत लग जाती है इस वर्ग में ओपियेट्स (यानी, मॉर्फिन और कोडीन), ऑक्सीकोडोन ( ऑक्सी कोंटिन , पर्कोसेट ), हाइड्रोकोडोन ( विकोडिन , नार्को ) और फेंटेनल जैसी दवाएं शामिल हैं । परंपरागत रूप से, दर्द प्रबंधन के लिए ओपिओइड निर्धारित किए गए हैं, क्योंकि वे तीव्र दर्द के इलाज के लिए प्रभावी हैं लेकिन पुराने दर्द के इलाज के लिए कम प्रभावी हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ओपिओइड का उपयोग केवल पुराने दर्द के लिए किया जाना चाहिए यदि सुरक्षित विकल्प संभव नहीं हैं, क्योंकि उनके जोखिम अक्सर उनके लाभों से अधिक होते हैं

अमेरिका में प्रिस्क्रिप्शन या गलत तरीके दोनों से ओपियोइड दवाओं के व्यापक रूप से चल रहे भयानक प्रयोग को ओपियोइड महामारी का नाम दिया गया

सीडीसी के अनुसार, यह महामारी अमेरिका में 1990 के दशक के अंत में शुरू हुई, जब दर्द प्रबंधन के लिए ओपियोइड को तेजी से प्रिस्क्राइब किया गया जिसके परिणामस्वरूप बाद के वर्षों में समग्र ओपियोइड उपयोग में वृद्धि हुई। ओपिओइड महामारी शुरू होने के बाद से 650,000 से अधिक अमेरिकी नशीली दवाओं के अत्यधिक सेवन से मर चुके हैं

इसके अधिकांश पात्र जैसे एडी, ग्लेन, शैनन और ब्रिट-काल्पनिक हैं, हालांकि वे जिन लोगों की कहानियां इसमें दर्शाई गई है वो कल्पना बिल्कुल भी नहीं है

प्रत्येक एपिसोड की शुरुआत एक असली व्यक्ति द्वारा डिसक्लेमर पढ़ने से होती है: “यह कार्यक्रम वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। हालाँकि, कुछ पात्रों, नामों, घटनाओं, स्थानों और संवादों को नाटकीय उद्देश्यों के लिए काल्पनिक बनाया गया है।
फिर वो व्यक्ति संक्षेप में अपनी निजी कहानी साझा करता है। जैसे “जो बात काल्पनिक नहीं थी वह यह है कि मेरे बेटे को 15 साल की उम्र में ऑक्सीकॉन्टिन दी गई थी,” एक माँ अपने आंसुओं को रोकते हुए कहती है। “वह वर्षों-वर्ष नशे की लत में जी रहा था। और 32 साल की उम्र में, गैस स्टेशन की पार्किंग में कड़कड़ाती ठंड में अकेले ही उनकी मृत्यु हो गई। और हम उसे याद करते हैं।”

पर्ड्यू फार्मा ने 1996 में ऑक्सीकोडोन का एक नियंत्रित रिलीज फॉर्मूलेशन ऑक्सीकॉन्टिन पेश किया। इस दवाई की मार्केटिंग के लिए केसे कम उम्र की लड़कियो को MR बनाकर डॉक्टर के पास भेजा जाता था

केसे पर्ड्यू फार्मा ने अमेरिका में इन कम उम्र की लड़कियों को डाक्टरों को ज्यादा डोज लिखने पर ज्यादा बोनस देने का वादा कर अमेरिकी फार्मा कम्पनी के इतिहास का सबसे सफल माकेटिंग अभियान चलाया इस सीरीज में सारी पोल खोल दी गईं हैं

2007 में, ऑक्सीकोडोन से जुड़े ओपिओइड उपयोग विकार के जोखिम के बारे में झूठे दावे करने के लिए मुकदमा चलाने के बाद पर्ड्यू ने 600 मिलियन डॉलर का जुर्माना अदा किया 2016 में, ओपिओइड महामारी से प्रति 100,000 पर औसतन 10.3 लोगों की मौत हो रही थी, जिसमें सबसे अधिक दर न्यू हैम्पशायर में प्रति 100,000 पर 30 से अधिक और वेस्ट वर्जीनिया में प्रति 100,000 पर 40 से अधिक थी ।

बाद मे 2020 में सैकलर परिवार दिवालिया घोषित हुआ और यह पूरी कहानी सामने आई

पैन किलर के कार्यकारी निर्माता एरिक न्यूमैन कहते हैं, “यहां तक कि इस शो के काल्पनिक तत्व भी इस ज्ञान पर आधारित हैं कि ओपिओइड की लत के दर्दनाक नतीजे पूरे अमेरिका में हर दिन सामने आ रहे हैं।” “ पेनकिलर के मूल में यही निहित है ; यह समझने की कोशिश की जा रही है कि यह सब कैसे शुरू हुआ, ताकि हम अंततः इसे रोक सकें।”

जरूर देखिए……..पैन किलर

1 Comment

  1. An intriguing discussion is worth comment. I do think that you should publish more on this topic, it might not be a taboo subject but generally people dont speak about such subjects. To the next! Cheers!!

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