जॉम्बी गोपाल का अल्ट्रा प्रो वर्जन है आरपीएफ कॉन्टेबल चेतन चौधरी

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जैसे मोबाईल बनाने वाली कम्पनिया किसी लोकप्रिय मोबाईल का जैसे अल्ट्रा या प्रो वर्जन निकालती है वैसे ही जॉम्बी रामभक्त गोपाल का अल्ट्रा वर्जन निकला है और वो है आरपीएफ जवान चेतन चोधरी
रामभक्त गोपाल उत्तर प्रदेश के जेवर का रहने वाला है और चेतन उससे कुछ किलोमीटर दूर हाथरस का रहने वाला है
कल आरपीएफ कॉन्सटेबल चेतन ने जयपुर मुम्बई पैसेंजर ट्रेन में अपने एस्कॉर्ट ड्यूटी प्रभारी एएसआई टीका राम मीना पर गोलियां चलाई दरअसल चेतन ने मुस्लिमों को लेकर कोई कमेंट किया था, इसका ASI ने विरोध किया। इसी बात पर आरोपी ने उसे गोली मार दी। अधिकारी ने बताया कि अपने सीनियर की हत्या करने के बाद कांस्टेबल दूसरी बोगी में गया और बी5 में जाकर गोली चलाई फिर ट्रेन की पैंट्री कार  में गोली चलाई और फिर दूसरी बोगी में जाकर एक यात्री को मारा
कोच बी5 और एस6 के यात्रियों की पहचान अब्दुल कादर भाई मोहम्मद हुसैन (58) और असगर के रूप में हुई है। असगर मजदूर था और चूड़ियां बनाने का काम करता था. वह काम की तलाश में मुंबई आ रहा था।
आपको याद होगा केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की  रिठाला में भाजपा की चुनावी रैली में लोगों से नारे लगवाए थे “देश के गद्दारों को….’, इसके बाद वहां मौजूद भीड़ ने कहा था “गोली मारो #$#$ को’।
तो गोली मार दी गई ट्रेन में चेतन का जो विडियो वायरल हुआ है उसमे वो साफ़ साफ़ कह रहा है कि ये लोग पाकिस्तान से ऑपरेट होते हैं। इसलिए उन्हें मारा। भारत में रहना है तो केवल मोदी और योगी कहना है। ………
जहर किस हद तक फैल चुका है कि जिस जवान को रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था वही उनकी जान ले रहा है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि उसने जिनको गोली मारी उनसे चेतन की कोई निजी रंजिश नहीं थी उनसे कोई बहस नहीं हुई थीं
यह कितना खतरनाक है ये सोचते हुए ही रूह कांप जाती है कि जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उन्हें कपड़ो से पहचान लेते है वैसे ही यदि पूरी बोगी में दाढ़ी वालें ऊंचे पजामा पहनने वाले और बुरका पहने महिलाएं होती तो आपने ऑटोमेटिक वेपन से वो पूरी बोगी ही साफ़ कर सकता था
आरपीएफ जवान चेतन कोई अपवाद नही है ……… राह चलते हुए किसी की भी मोबाइल स्क्रीन पर नजर डालिए!…….. वह क्या देख रहा है ? सुबहो शाम न्यूज़ चैनलों की बहसों के स्तर एंकर्स की भाषा पर नजर डालिए वह समाज पर क्या प्रभाव डाल रही हैं?
हम पेड़ बबूल के बो रहे है और उम्मीद कर रहे हैं कि हमे आम खाने को मिला करेंगे!…….
हरिशंकर परसाई ने अपने लेख ‘आवारा भीड़ के खतरे’ में लिखा है ‘दिशाहीन, बेकार, हताश, नकारवादी, विध्वंसवादी बेकार युवकों की भीड़ खतरनाक होती है. इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति और समूह कर सकते हैं. इस भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी ने किया.यह भीड़ धार्मिक उन्मादियों के पीछे चलने लगती है. यह भीड़ किसी भी ऐसे संगठन के साथ हो सकती है जो उन्माद और तनाव पैदा कर दे. फिर इस भीड़ से विध्वंसक काम कराए जा सकते हैं. यह भीड़ फासिस्टों का हथियार बन सकती है.
 हमारे देश में यह दिन ब दिन भीड़ बढ़ती ही जा रही है और इस भीड़ को राजनीतिक समर्थन हासिल है

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