झांसी में लल्लनटॉप चैनल के एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी की स्थानीय प्रवक्ता रुचि पाठक डिबेट में करने पूहंची…..वहां पर निजीकरण को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव जैन ने केंद्र सरकार को घेर रहे थे इस पर जवाब में बीजेपी की ओर से पक्ष रख रहीं रुचि पाठक ने कहा- ‘भारत को आजादी कांट्रैक्ट बेस पर है. कांग्रेस ने देश की आजादी 99 साल की लीज पर ली है. भारत कम्प्लीटली आजाद नहीं है.’
बस यहीं वो क्षण था जब पूरे देश मे रुचि पाठक हंसी का पात्र बन गई……
यह वीडियो वायरल हो गया और वह लोगों के सीधे निशाने पर आ गईं. सोशल मीडिया पर उनके बयान पर कई प्रतिक्रियाएं आई कई लोग बीजेपी प्रवक्ता रुचि पाठक को वाट्सएप यूनिवर्सिटी का टॉपर बताने लगे
लेकिन तमाम बुद्धिजीवी ये नही खोज पाए कि उनके इस कथन का स्त्रोत क्या था जबकि इसे खोजना बेहद आसान था खुद रुचि पाठक का कहना था कि उन्हें ये जानकारी सोशल मीडिया के जरिए मिली है. उन्होेंने इंटरनेट पर उपलब्ध कुछ लेख और राजीव दीक्षित के बयानों का जिक्र भी किया
सच यह है कि एक पूरी पीढ़ी की बुद्धि को एक आदमी ने भ्रष्ट कर दिया जिसका कोई नाम खुलकर नहीं लेता है हम बात कर रहे हैं राजीव दीक्षित की…
राजीव दीक्षित का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में 30 नवम्बर 1967 को हुआ था. वह स्वतंत्रता सेनानीयों के परिवार से थे. उनके बारे मे बताया जाता है कि वह एक वैज्ञानिक थे, उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी काम किया है. साथ ही वे फ्रांस के दूर संचार क्षेत्र में भी वैज्ञानिक के तौर पर काम कर चुके थे.
यह कितना सच है कितना झूठ भगवान जाने
लेकिन इंटरनेट पर यहीं जानकारी उनके बारे में उपलब्ध है, इंटरनेट पर ही राजीव दीक्षित के सैकड़ों भाषण विडियो ऑडियो फॉर्म में बहुत सारी वेबसाइट पर उपलब्ध है
और यहीं भाषण उस ज्ञान का स्त्रोत है जो रुचि पाठक ही नही बल्कि ऐसे लाखो युवाओं के अंतरमन में प्रवेश कर चुका है
सबसे पहले इसी भाषण की बात कर लेटे है जो रुचि पाठक ने सुना और उसे लल्लन टॉप के मंच पर दोहरा दिया
राजीव दीक्षित इस भाषण में कहते है
14 अगस्त 1947 कि रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था
सत्ता के हस्तांतरण की संधि यानि भारत के आज़ादी की संधि | ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये
गए सभी 565 संधियों या कहें साजिश को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये |
14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का
एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है |
और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है,
तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को
ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही
नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का
स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने
स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे |
हमे 99 साल की लीज पर आजादी मिली है
इस वीडियो को लाखो हिट्स मिली है सैकड़ों वैबसाइट पर इसे कोट किया गया है ये सारी वेबसाइट 2004 से 2014 के बीच खूब चलती थी
एक ब्लॉग वैबसाइट “अरविंद सिसोदिया” से ही उपरोक्त भाषण लिया गया है
लेकिन ऐसी एक या दो स्पीच नहीं है बल्कि ऐसी सैकड़ों की संख्या में स्पीच है
ऐसे ही एक भाषण में राजीव दीक्षित दावा करते हैं कि रेडियों सक्रिय तत्वों का एक बड़ा भंडार भारतीय समुन्द्र के सेतु पुल के नीचे मौजूद है, जिसकी इतनी विशाल मात्रा है कि 150 वर्षों तक इन रेडियों सक्रिय तत्वों का इस्तेमाल बिजली और परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है. और भारत की मनमोहन सरकार उस पुल को तोड़ने की कोशिश कर रही है जो 7,00,000 साल पुराना है
दरअसल अमेरिका की नज़र हमारे उस इंधन पे है और वो चाहता है भारत उस इंधन को अमेरिका को दे और बदले में अमेरिका थोडा बहुत यूरेनियम हमको दे |
इस खेल को पूरा करने के लिए अमेरिका श्री राम सेतु को तोड़ना चाहता है ! और इस काम को पूरा करने के लिए अमेरिकी एजेंट मनमोहन सिंह जो पिछले 20 साल से भारत सरकार मे बैठा है !!
सुप्रीम कोर्ट मे भी Case चल रहा था ! अभी date पर date पर रही था ! वहाँ केंद्र सरकार कॉंग्रेस और मनमोहन सिंह तर्क देते थे कि ये सेतु श्री राम नहीं बनाया ! श्री राम तो एक कल्पना है ! श्री राम तो कभी हुए ही नहीं !!
जबकि कुछ साल पहले अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी NASA ने ही रामसेतु की पुष्टि अपनी रिपोर्ट में की है l ! आज भी आपको वहाँ ऐसे पत्थर मिल जाएँगे ! जिस पर राम लिखा है और वो पानी मे तैरते है !!
यानी जबरदस्त लफ्फाजी और वो भी धाराप्रवाह ढंग से एक जगह वे कहते है कि “जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और एडविना एक ही कॉलेज में पढ़े थे और एडविना से दोनों लगे हुए थे. एडविना इतनी चालाक महिला थी कि दोनों को हैंडल करती थी. जिन्ना और नेहरू चरित्र के बेहद हल्के आदमी थे. एडविना के पास नेहरू की आपत्तिजनक तस्वीरें थीं, जिनके आधार पर नेहरू को ब्लैकमेल करके भारत का बंटवारा कराया गया.”
मतलब आज जो लोगो की अक्ल पर ढेरो पत्थर पड़े हुऐ हैं जिसे हम व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी का ज्ञान बोलते है उसके सबसे बडे़ आचार्य राजीव दीक्षित ही थे
भगवान उनके पढ़ने वालों को सद्बुद्धि दे
इस लेख का अगला हिस्सा कुछ ही दिन में। ………
राजीव दीक्षित जी की यह बातें झूठी है इसके क्या सबूत है आपके पास
Girish Malviya जी ।
आपके ही नाम से यह पोस्ट लिखी गयी है जी ।
आप इसे देखे जी और बताने की कृपादृष्टि करें कि श्री राजीव दीक्षित जी गलत कैसे है जी ?
इस पोस्ट ने परम् श्रधेय श्री राजीव भाई दीक्षित जी को ही विलेन बना दिया है ।
जब हम पढ़े तो हैरान हो गए ।
आप भी पढिये और विचार करें कि सत्य क्या है जी ?
Girish Malviya जी ।
ये सब वीडियो हम देखे है ।
अगर श्री राजीव दीक्षित जी की बताई ये बातें गलत है आपके अनुसार , तो इन्हें गलत कहने का क्या आधार है आपके पास ?
सिर्फ आपके कहने से तो यह गलत नही हो जाएगा जी ?
कि आप इन्हें गलत कहते है तो ये गलत हो जाएंगी ?
आप कोई सुस्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करने की कृपादृष्टि करें जी ताकि हम भी माने कि ये सब जो आप कह रहे है वह ही सही है जी ।
हम तो अभी भी परम श्रधेय श्री राजीव भाई दीक्षित जी की ही बात को इकदम सही मानते है जी ।
अब NWO ग्रुप के एजेंट परम् श्रधेय श्री राजीव भाई जी पर बिना प्रमाण के ही आरोप लगाने लगे ।
प्रखर वक्ता ,
परम देश भक्त ,
स्वदेशी के प्रबल समर्थक ,
आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान
परम् श्रधेय श्री राजीव दीक्षित जी
निसंदेह एक आदरणीय और वंदनीय विभूति हैं।
उनकी अधिकांश बातें सच है ।
लेकिन कहीं-कहीं उनसे भी अतिवाद में कहें या भूल बस कुछ जगह थोड़ी सी अतिश्योक्ति हुई हो सकती है ।
बावजूद इसके उनका महत्त्व और प्रासंगिकता लेश मात्रा भी कम नहीं होती।
जितने सत्यो और रहस्यों पर से उन्होंने पर्दा उठाया है वह पर्याप्त से भी ज्यादा है ।
🙏