अयोध्या में भी करोड़ो का घोटाला ! राम के नाम पर चल रही लूट की CAG रिपोर्ट से खुली पोल

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कैग रिपोर्ट पर फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण कह रही हैं कि राज्यों का पाप हमारे मत्थे मत डालिए पर अयोध्या में राम के नाम पर जो भ्रष्टाचार का घोर पाप हुआ है उसका सेहरा किस के सिर बंधेगा मैडम !…. योगी जी के या मोदी जी के ?

अयोध्या में तो स्थानीय बीजेपी नेताओं द्वारा जमीनो की लूट तो मची हुई है लेकिन वही विकास के नाम पर अपने कृपापात्र ठेकेदारों को उपकृत किए जाने का भी गंदा खेल भी चल रहा है

9 अगस्त को CAG की एक रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई। इसमें दावा किया गया कि अयोध्या में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में जमकर धांधली हुई है। अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का हेरफेर हुआ है।

दरअसल भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने स्वदेश दर्शन योजना के तहत उत्तर प्रदेश में अयोध्या विकास परियोजना के कार्यान्वयन में कई गड़बड़ी पाई है. अयोध्या विकास परियोजना स्वदेश दर्शन योजना के तहत बनाए जा रहे रामायण सर्किट का हिस्सा है। केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे 27 सितंबर, 2017 को 127.21 करोड़ रुपए की लागत से मंजूरी दी थी, जिसमें से 115.46 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं।

सीएजी के अनुसार उत्तर प्रदेश में अयोध्या विकास परियोजना के कार्यान्वयन में ठेकेदारों को अनुचित लाभ देने समेत कई अनियमितताएं पाई गई हैं. 208 पन्नों की रिपोर्ट में 18 जगह अयोध्या का जिक्र किया गया है.
सीएजी ने जनवरी स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत 2015 से लेकर मार्च 2022 तक के परफॉरमेंस को ऑडिट किया है. इस पर लोकसभा में पेश की गई परफॉरमेंस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया है.

उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम की ओर से नियुक्त किए गए ठेकेदार को पांच प्रतिशत की दर से परफॉरमेंस गारंटी जमा करनी जरूरी थी. इसके अनुसार अनुबंध राशि 62.17 करोड़ रुपये का 5 प्रतिशत कुल 3.11 करोड़ रुपये हुआ. वहीं ठेकेदार ने इसके नवीनीकरण (सितंबर 2021) के समय रिकॉर्ड पर कोई कारण बताए बिना ही परफॉर्मेंस गारंटी की राशि काफी कम जमा की थी. सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि ठेकेदार ने केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा किए थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि अयोध्या के गुप्तार घाट पर काम को समान आकार के 14 लॉट में बांटा गया था. जिसका काम अलग-अलग निजी ठेकेदारों को सौंप दिया गया था. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि निष्पादन एजेंसी (सिंचाई विभाग) ने ठेकेदारों की ओर से प्रस्तावित वित्तीय बोलियों/दरों का तुलनात्मक विश्लेषण करने में उचित सावधानी नहीं बरती. वहीं एक जैसी प्रकृति और स्वीकृत लागत के काम एक ही ठेकेदारों को दे दिए, जिसके कारण 19.13 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्तार घाट में वृक्षारोपण कार्य के लिए 37.70 लाख की राशि के 900 ट्री गार्ड खरीदे गए. लेकिन जनवरी 2022 में किए गए सर्वेक्षण के दौरान ये खुले क्षेत्र में अनुपयोगी पाए गए.

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया- “तीन ठेकेदारों को काम देने के बाद राज्य सरकार ने स्वत: संज्ञान के आधार पर उनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था. ऐसे में वो अब रजिस्टर्ड ठेकेदार नहीं थे, लेकिन एक ठेकेदार को उसके जीएसटी पंजीकरण के संदर्भ में कुल 19.57 लाख रुपये का अनियमित भुगतान किया गया था.

कुल आवंटित 115 करोड़ की रकम में लगभग 20 करोड़ तो घोटाले की भेंट चढ़ चुका है ….ऐसी चल रही है राम के नाम पर टैक्सपेयर्स के रकम की लूट…….

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